इस समय मायावती हर दिन किसी न किसी बहाने,मीडिया में सुर्खियों में बनी हुई है l कभी आरक्षण के मुद्दे को लेकर,राहुल गांधी को घेरने की कोशिश की जाती है,तो कभी अखिलेश यादव के कथनी और करनी का बखान कर,मायावती सुर्खियों में बनी हुई है,लेकिन इस बार मायावती ने अपना दर्द अपने कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने की पूरी कोशिश की है और मायावती की इन कोशिशें को लोकसभा चुनाव 2024 में मिली हुई तगड़ी शिकस्त की आत्मीय बखान रूप में देखी जा रहा है l आखिर मायावती ने यह जरूरत क्यों समझी,कि वह अपने कार्यकर्ताओं को अपनी और अपने जीवन से जुड़ी अंदरूनी बातों का बखान करें और इन अंदरूनी बातों के सामने आने से कार्यकर्ताओं पर क्या कुछ फर्क पड़ेगा ?
,मायावती ने 59 पेज की एक बुकलेट अपने कार्यकर्ताओं को जागरूक करने के लिए लिखी है और यह किताब बहुत तेजी के साथ कार्यकर्ताओं तक पहुंचा जाने की कोशिश भी बसपा पार्टी की तरफ से हो रही है l अब जरा यह भी जान ही लीजिए कि यह कोशिश क्यों की जा रही है और इस बुकलेट के कंटेंट में ऐसा क्या है ? इस रिपोर्ट से समझ भी लीजिए l दरअसल मायावती ने अपनी किताब में लिखा है लोकसभा चुनाव 2019 में गठबंधन करने के बाद,महज पांच सीटें मिलीं तो दुखी होकर एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती का फोन भी उठाना बंद कर दिया था l मायावती ने यह खुलासा एक बुकलेट में किया है, जो उपचुनाव और आने वाले चुनावों के मद्देनजर पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बांटी जा रही है l इसमें मायावती ने लिखा है कि 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो एसपी को पांच और बीएसपी को 10 सीटें मिलीं l इस वजह से दुखी होकर बीएसपी से आगे संबंध बनाए रखना तो दूर,अखिलेश यादव ने उनका और उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का फोन भी उठाना बंद कर दिया था l
बीएसपी ने हाल ही में 59 पेज की बुकलेट छपवाई है l इसे पार्टी कार्यकर्ताओं को बांटा जा रहा है l यह बुकलेट किसी चुनाव का मेनिफेस्टो नहीं बल्कि एक तरीके से माया पर बीती तमाम दुर्घटनाओं का जिक्र है जिससे कार्यकर्ताओं को इमोशनल ब्लैकमेल की जाने की कोशिश की जा रही है किए जाने की कोशिश की जा रही है l इसका मकसद ये है कि निचले स्तर तक पार्टी कार्यकर्ता हाईकमान के रुख और नीति से वाकिफ हो सकें l वह आम लोगों और वोटरों को जागरूक कर सके l उनका खास फोकस अपने कैडर वोट दलित और पिछड़ों को यह समझाना है,कि बाकी पार्टियां उनके वोट लेने के लिए छलावा करती रही हैं l सिर्फ बीएसपी ही ऐसी पार्टी है, जो उनकी सच्ची हितैषी है l यही नहीं अपने ऊपर हुए अत्याचार की कहानी को भी मायावती ने इस बुकलेट में छापने की कोशिश की है l
मायावती लिखती है,कि 1993 में एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम से यह कहकर गठबंधन किया था,कि कांग्रेस और बीजेपी जैसी जातिवादी पार्टियां नहीं चाहतीं,कि दलित और पिछड़ा वर्ग मिलकर बड़ी राजनीतिक ताकत न बन जाएं l इस गठबंधन के बारे में शुरू से यही कहा जा रहा था,कि मुलायम की दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी और आपराधिक सोच होने की वजह से ये ज्यादा नहीं चलेगा l मायवती ने लिखा है,कि अंत में वही हुआ l उन्होंने दलितों, पिछड़ा और महिलाओं का शोषण किया l तब हमारी पार्टी को मजबूरी में समर्थन वापस लेना पड़ा l तब एसपी मुखिया ने कुख्यात गेस्ट हाउस कांड करवाकर मेरी हत्या करवाने की पूरी कोशिश की l दरअसल इस किताब के जरिए मायावती ने एक तीर से एक नहीं बल्कि,दो दो निशाने किए हैं l जहां एक तरफ अपने कार्यकर्ताओं को जागरुक कर अपनी छवि को साफ दिखाने और बसपा पार्टी की नीतियों तक की अंदरूनी राजनीति को बयान किया है,तो वही अखिलेश के पिछड़ा,दलित और अल्पसंख्यक के फार्मूले यानी PDA पर अखिलेश के पिता मुलायम की बातों का जिक्र करते हुए,अखिलेश पर भी वार कर डाला है