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वरुण के आगे,जितिन प्रसाद आखिर क्यों शून्य !

India Junction News Bureau

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Published: April 9, 2024 5:05 pm

सिर्फ है,तो मोदी मोदी और मोदी कार्ड,जो इस समय पीलीभीत में जितिन प्रसाद लगातार खेल रहे हैं l गौरतलब है कि,प्रसाद ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी l वह पहली बार 2004 में शाहजहांपुर से और फिर 2009 में धौरहरा से लोकसभा के लिए चुने गए थे l उन्होंने केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दोनों ही कार्यकाल में मंत्री के रूप में कार्य किया था l वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले,2021 में भाजपा में शामिल हो गए थे l पीलीभीत में करीब 18 लाख मतदाता हैं, जहां 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान होगा l 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर वरुण गांधी को रिकॉर्ड सात लाख वोट मिले थे l यह सब बातें यादगार के रूप में,क्योंकि बीजेपी भले ही वरुण का टिकट काटने में कामयाब हो गई हो l लेकिन जितिन प्रसाद के लिए स्थानीय जमीन कुछ भी नहीं बची है l वह जनता के बीच मोदी की योजनाओं और मोदी की सोच का ही प्रचार करते दिख रहे हैं l

अपने आप को मोदी का दूत बताने वाले जितिन प्रसाद,जनता के बीच अक्सर कहते दिख जाते हैं की,मैं यहां प्रधानमंत्री मोदी के दूत के रूप में आया हूं l हम सभी उनके विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं l “मोदी ने (अनुच्छेद) 370 को हटाया, राम मंदिर का निर्माण किया और विकास की शुरुआत की, जिसे पूरा देश देख रहा है l मतलब साफ है कि भले ही जितिन प्रसाद बीजेपी गवर्नमेंट और मोदी की तारीफ के पुल बांध रहे हो लेकिन आखिर वहां के स्थानीय मुद्दे क्या है उसे पर जितिन प्रसाद की कुछ भी पकड़ नहीं है l प्रसाद मॉनसून के दौरान पीलीभीत में आने वाली बाढ़ या औद्योगिक बुनियादी ढांचे की कमी और महत्वपूर्ण शहरों से सीधे सड़क और रेलवे संपर्क जैसे स्थानीय मुद्दो पर,जनता के बीच में कुछ भी बोल पाने में असफल साबित हो रहे हैं l

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ऐसे में स्थानीय जनता का लगाओ,जिस तरह से वरुण गांधी से था और जनता के स्थानीय मुद्दों को जितनी भी बेला बेबाकी से वरुण गांधी संसद में रखते थे l यहां तक,कि जनता के लिए वह अपनी पार्टी से ही खिलाफत ले लेते थे l ऐसा कोई भी जज्बा,जनता को जितिन प्रसाद में नहीं दिख रहा है l जनता स्थानीय समस्याओं से जूझ रही है और जितिन प्रसाद लगातार केंद्र सरकार की तारीफ के पुल बांध रहे हैं, और स्थानीय समस्याओं पर बचते नजर आ रहे हैं यानी जितिन का पूरा चुनाव मोदी के चेहरे पर ही वह लड़ना चाह रहे हैं l ऐसे में नया चेहरा होने के नाते,जितिन प्रसाद को वरुण के मुकाबले कितने परसेंट जीत हासिल होगी ? यह कह पाना बेहद मुश्किल है l

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