जब से लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न हुआ है l उसके बाद से अब तक,तमाम मंचों से मोहन भागवत की तमाम तस्वीरे,अचानक सामने आने लगी है l साथ-साथ सामने आने लगे हैं तमाम वह बयान,जो RSS की चिंता को भी बयां कर रहे हैं l लेकिन आरएसएस इतनी चिंता में क्यों है और इस चुनाव के बाद यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में,ऐसा क्या हुआ ? जो बीजेपी और आरएसएस के बीच अब वर्चस्व की लड़ाई,धीमे-धीमे बनता जा रहा है l पहले जेपी नड्डा का यह बयान आना,कि “पहले भाजपा कमजोर थी,तो आरएसएस की आवश्यकता थी,अब भाजपा मजबूत है,तो ऐसे में हमें RSS की इतनी जरूरत नहीं”l
इस बयान के बाद,मानो मोहन भागवत ने खुद ही अब कमान संभाल ली है l शायद यही वजह है,कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष पूरा होने के बीच, आरएसएस ने इलेक्शन के फौरन बाद,सक्रिय राजनीति में भाग लेना अब शुरू कर दिया है l एक बार फिर मोहन भागवत फुल फॉर्म में नजर आ रहे हैं l मोहन भागवत ने आरएसएस कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर संघ के विस्तार को से बढ़ाने की चिंता करने पर जोर दिया है l मोहन भागवत का मानना है,कि आरएसएस का विस्तार गली,मोहल्ले,जिले,कस्बे तहसील,यहां तक की गांव-गांव में होना चाहिए l
2027 के विधानसभा चुनाव की इन्हीं रणनीतियों के रूप में भी देखा जा रहा है l माना जा रहा है,कि कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात कर सकते हैं l इस समय मोहन भागवत 5 दिन के “कार्यकर्ता विकास वर्ग सम्मेलन” के मौके पर,गोरखपुर में जमे हुए हैं और “कार्यकर्ता विकास वर्ग सम्मेलन” में तमाम RSS के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से मिलकर,उनके अंदर नया जोश भरने की कोशिश में लगे हैं l