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वन नेशन वन इलेक्शन क्यों है जरूरी? खुल गया पूरा माजरा !

India Junction News Bureau

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Published: September 20, 2024 2:00 pm

बीते कई समय से भारतीय जनता पार्टी के लिए वन नेशन वन इलेक्शन एक टारगेट था l पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई,कमेटी की सिफारिश को मानते हुए,मोदी सरकार ने इस फैसले पर अपना कदम आगे बढ़ा दिया है l लेकिन अभी हाल में ही हुए लोकसभा चुनाव 2024 और 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद,भाजपा की उतार-चढ़ाव भारी राजनीति सामने देखने को मिली है l जहां बीजेपी के हाथ से अयोध्या सरक गई,तो वहीं अब 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा ने अपनी कमर कस ली है l लेकिन इस बीच मोदी सरकार अगर शीतकालीन सत्र में यह कानून पास करा ले जाती है,तो इसका क्या असर उत्तर प्रदेश के आने वाले चुनाव पर पड़ेगा ? यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है ?

दरअसल उत्तर प्रदेश में साल 2027 में विधानसभा प्रस्तावित हैं l इससे पहले वर्ष 2022 में इलेक्शन हुए थे और भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई थी l अब जबकि एक राष्ट्र एक चुनाव की चर्चा शुरू हो चुकी है और केंद्रीय कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकृति दे दी है, ऐसे में नए समीकरणों और कयासों का दौर शुरू हो गया है l
यूपी में विधानसभा चुनाव और देश में लोकसभा चुनाव के बीच दो से ढाई साल का अंतर होता है l मसलन साल 2014 आम चुनाव के बाद,वर्ष 2017 में यूपी में विधानसभा चुनाव हुए l फिर साल 2019 में लोकसभा चुनाव हुए और सन् 2022 में यूपी के चुनाव हुए l इसी तरह साल 2024 में लोकसभा चुनाव हुए और 2027 में यूपी के विधानसभा चुनाव होने हैं l अगर यह मानते हैं कि एक राष्ट्र,एक चुनाव की अवधारणा के तहत अगर साल 2029 में सभी विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे तो यूपी में तय समय से तीन साल पहले ही इलेक्शन हो सकते हैं l

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2027 में चुनाव के बाद अगला चुनाव 2032 में प्रस्तावित होगा l अगर 2029 में सभी विधानसभाओं के चुनाव होंगे तो यूपी में तय समय से पहले ही चुनाव होने की परिस्थिति बन जाएगी l ऐसे में जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी l वन नेशन वन इलेक्शन बिल के पास होने पर,2029में अगर एक साथ लोकसभा उत्तर प्रदेश का चुनाव होता है,तो कहीं ना कहीं भाजपा के लिए भी चुनौती भरा साबित होगा l ऐसे में इंडिया गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी की बढ़ती हुई ताकत और अखिलेश के 37 सांसद मजबूती के साथ इंडिया गठबंधन को आगे बढ़ाने का काम भी करते दिखाई देंगे,क्योंकि माना जा रहा था योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में लोकसभा चुनाव में कोई खास प्रदर्शन न कर पाने वाली,बीजेपी को अब नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा,तो वही अखिलेश की साइकिल का पहिया इस समय तेजी के साथ घूमता हुआ दिखाई दे रहा है l जिसका फायदा वन नेशन वन इलेक्शन बिल के पास होने के बाद,अखिलेश को भी मिलता हुआ दिखेगा l

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