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25 साल से सपा का अभेद किला,भेदेंगे योगी !

India Junction News Bureau

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Published: October 10, 2024 7:50 pm

विधानसभा उपचुनाव के साथ उस सीट की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है,जो कभी समाजवादी पार्टी के लिए आंखों का तारा माने जाते थे,वह सीट कोई और सीट नहीं,बल्कि सोलंकी परिवार से जुड़ी हुई सीट है और अब इस उपचुनाव में,यह सीट भाजपा अपने खाते में ला पाएगी या फिर सोलंकी परिवार का जलवा बरकरार रहेगा ? दरअसल,कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी के जेल जाने के सियासी समीकरण में बड़े बदलाव हुए l लंबे समय से बीजेपी में इस सीट पर कब्जा करना चाहती थी, लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव में बीजेपी 12 हजार वोटों से इस सीट पर हार की मार झेल चुकी है,लेकिन क्या इस बार सपा की पारंपरिक सीट सीसामऊ विधानसभा जो पिछले 30 सालों से सोलंकी परिवार के पास है फिर से अपना किला बचा पाएगी ? कानपुर की सीसामऊ सीट पर बीजेपी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रही है,लेकिन कानपुर का सोलंकी परिवार ने इस सीट पर किसी को जमने नहीं दिया l कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट उपचुनाव के दायरे में आ गई है और जल्द ही तारीखों के ऐलान के बाद यहां भी उपचुनाव होगा l इस सीट पर 1996 में हाजी मुश्ताक सोलंकी ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और चुनाव जीते थे l लगातार दो बार मुश्ताक सोलंकी ने सपा को जीत दिलाई और 2007 से उनके बेटे इरफान सोलंकी ने यहां इस सीट की कमान को संभाला और जीतते चले गए l

अब 25 साल तक बीजेपी यहां अपना कब्जा बनाने में नाकाम साबित रही लेकिन इस सीट पर होने वाले उपचुनाव में क्या अब अपना 25 साल पुराना सपना पूरा कर पाएगी ? यह सवाल भी बीजेपी को दिन और रात हैरान और परेशान कर रहा है दरअसल इस सीट पर सपा के इरफान सोलंकी ने तीन बार लगातार जीत हासिल कर रखी है, लेकिन कानूनी दांव पेंच और मुकदमे ने उनकी विधायकी निरस्त कर दी गई थी,वो जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए l अब इस अवसर को बीजेपी छोड़ना नहीं चाहती है और जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है l जिसके चलते बड़े-बड़े दिग्गज मैदान में उतर रहे हैं और खुद यूपी के सीएम यहां इस विधानसभा में जनसभा करने आ रहे हैं lबीजेपी के लिए चुनौतीपरिसीमन से पहले ये सीट आर्यनगर विधान सभा के नाम से जानी जाती थी, जिसका नाम परिसीमन साल 2007 में हुआ और लागू वर्ष 2012 में हुआ l जिसके बाद ये सीसामऊ विधानसभा नाम से प्रचलित हुई l इस सीट पर बीजेपी के दलित प्रत्याशी राकेश सोनकर ने चुनाव 1991 से 2002 तक जीत हासिल की, जिसका दलित और ब्राह्मण मतदाताओं ने भरपूर साथ दिया l

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इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस के दलित नेता संजीव दरियाबादी चुनाव लड़े और दो बार विधायक रहे l इसके बाद न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी इस सीट पर अपना कब्जा बना पाई l जिसके चलते आज सपा और कांग्रेका गठबंधन है और बीजेपी के लिए ये सीट जीतना अवसर के साथ चुनौती भी है l फिलहाल इस चुनौती को एक्सेप्ट करते हुए अखिलेश यादव ने सबसे पहले जिन 6 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की,उसमें शीशामऊ सीट पर इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को अपना प्रत्याशी बनाकर,फिर से यह सीट समाजवादी पार्टी के पाले में लाने की कोशिश की है,लेकिन बुलडोजर नीति और मुस्लिम फैक्टर के जरिए वोटो के ध्रुवीकरण के लिए अब खुद इस सीट को योगी आदित्यनाथ ने हीं टारगेट कर लिया है और जाहिर सी बात है कि योगी आदित्यनाथ की लीडरशिप में अगर इस विधानसभा उपचुनाव को लड़ा जा रहा है,तो निश्चित तौर पर सीसा मऊ की इस सीट पर भी बीजेपी का कब्जा हो जाए,यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है l

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