लोकसभा चुनाव से पहले यह माना जा रहा था कि,मायावती का गठबंधन एनडीए या फिर इंडिया के साथ हो सकता है l अखिलेश यादव ने भी एड़ी से चोरी तक का जोर लगाया,तो वहीं भाजपा के तमाम नेताओं ने गुप्त भी गुप्त तरीके से,मायावती को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की,लेकिन माया ने अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर सबको चौंका दिया था,लेकिन लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता ना खुल पाने से,मायावती हैरान और परेशान सी नजर आ रही थी इसलिए मायावती ने अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए,हरियाणा की तरफ आगे कदम बढ़ाया,लेकिन हरियाणा से मायावती को ऐसी कौन सी सीख मिली,जिसे लेकर मायावती का वजूद हिल के रह गया और अब मायावती की क्या है अगली स्ट्रेटजी ? दरअसल,उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए भी 2 साल बाकी हैं l इससे पहले बहुजन समाज पार्टी ने अलायंस को लेकर अहम फैसला कर लिया है l सोशल मीडिया साइट एक्स पर बसपा चीफ मायावती ने एक ओर जहां यह संकेत दिए कि हरियाणा चुनाव में अलायंस उनके और उनकी पार्टी के काम नहीं आया तो दूसरी ओर यह भी संदेश दिया कि अब भविष्य में किसी के भी साथ गठबंधन नहीं होगा l
मायावती ने यह भी दावा किया कि बसपा के वोट तो ट्रांसफर हो जाते हैं,लेकिन दूसरे दलों के समर्थक बसपा को वोट नहीं करते हैं l मायावती के हलिया बयान से यह संकेत मिल रहे हैं कि,यूपी में अब पार्टी किसी क्षेत्रीय दल के साथ कभी भी अलायंस नहीं केरगी l सिलसिलेवार पोस्ट में यूपी की पूर्व सीएम ने कहा कि यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने लेकिन उनका वोट बीएसपी को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण,अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा और उससे होने वाले मूवमेन्ट की हानि को बचाना जरूरी है l पूर्व सांसद ने कहा,कि इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम और इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर,आज हरियाणा और पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय, जबकि भाजपा/एनडीए और कांग्रेस/इण्डिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी l
माया ने आगे अपने पोस्ट में कहा कि देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी बीएसपी व उसके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवाँ को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं, जिस क्रम में अपना उद्धार स्वंय करने योग्य व शासक वर्ग बनने की प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रखनी जरूरी है l बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बीएसपी विभिन्न पार्टियों/संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि ’बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा व सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने व उनको शासक वर्ग बनाने का आन्दोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक है l पंजाब और हरियाणा से मिले कड़वे अनुभव के आधार पर फिलहाल मायावती ने किसी के साथ गठबंधन करने से मना कर दिया है लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से मिट रही बसपा पार्टी किसी ऐसी जमीन को अब मायावती कैसे जिंदा रख पाएंगे बहुत बड़ा सवाल है जिसका जवाब दिन और रात मायावती को हैरान और परेशान भी कर रहा है ll