पिछले कई सालों से समाजवादी पार्टी के अंदर तमाम ऐसी शाखाएं थीं,जो सक्रिय नहीं दिखाई दे रही थी,लेकिन अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 के बाद,इन बंद पड़ी हुई शाखों को जैसे ही शुरू किया l वैसे ही मानो युवाओं की क्रांति अखिलेश के लिए एक सकारात्मक पहलू के साथ मजबूती के तरफ आगे बढ़ने का इशारा कर रही है l आखिर अखिलेश ने अगस्त की तारीख 9 और 10 को ही क्यों चुना ? जिससे वह अपनी ताकत का एहसास योगी आदित्यनाथ को करा सके l दरअसल उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद,समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव उत्साहित दिख रहे हैं l उनका अगल लक्ष्य यूपी में होने वाले 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव पर है l बता दें इसमें 5 सीटें समाजवादी पार्टी की ही हैं, जिनमें 4 सीटें लोकसभा में जीत के बाद से खाली हुई हैं l
अखिलेश यादव इस चुनाव में जीत के लिए,सबसे ज्यादा फोकस युवाओं पर कर रहे हैं l इसी क्रम में उनके निर्देश पर समाजवादी पार्टी के युवा संगठनों ने 9 अगस्त क्रांति दिवस से 10 सितम्बर 2024 तक प्रदेशव्यापी छात्र, नौजवान पीडीए जागरूकता अभियान आयोजित किए l इस अभियान में कुछ प्रमुख बातों पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है। जैसे- वर्तमान सरकार छात्र-छात्राओं और नौजवानों दुश्मन है l पढ़ाई महंगी है, नौजवान बेरोजगार है l महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार हो रहे हैं l निर्दोष युवाओं को जाति देखकर गोली से मारा जा रहा है l सपा सरकार में छात्र-छात्राओं के लिए लैपटॉप, कन्या विद्या धन जैसी तमाम योजनाएं थीं, जो आज वर्तमान सरकार ने उन्हें बंद करने का काम किया है l
युवाओं को भरोसा दिया जा रहा है कि हर दुख दर्द को दूर करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रतिबद्ध है l कार्यकर्ताओं को संदेश दिया जा रहा है कि,मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य चल रहा है l नये मतदाताओं का नाम जोड़ने के लिये फार्म भरें l अयोध्या पर सबसे ज्यादा जोर देकर यहां पर युवाओं को जागरूक करने की कोशिश की गई है और दलित उत्पीड़न की आवास को अखिलेश ने युवाओं के जरिए उठाया है l भदोही में छात्र-नौजवान पीडीए जागरूकता सदस्यता अभियान,औरैया में छात्र सभा की संगोष्ठी शाहजहांपुर में अखिलेश की नीतियों का प्रचार,सीतापुर में लोहिया वाहिनी ने छात्रों को जागरूक किया l बरेली में विचार गोष्ठी यह कुछ ऐसे कार्यक्रम थे जो,लगातार 9 अगस्त से 10 सितंबर तक अखिलेश के नेतृत्व में युवाओं ने प्रदेश के कोने कोने में आयोजित किए गए l इन कार्यक्रमों का मकसद न सिर्फ अखिलेश की मृत शाखों को जिंदा करना था,बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी की बढ़ती ताकत और इस विधानसभा उपचुनाव में 10 सीटों पर सपा का बढ़ता वर्चस्व दिखाने की कोशिश थी l