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मोहनलालगंज से आई बड़ी खबर l दलित नेताओं की हई बोलती हुई बंद!

India Junction News Bureau

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Published: September 23, 2024 4:31 pm

इस समय उत्तर प्रदेश में जातिगत राजनीति की जड़े बेहद मजबूत होती जा रही है,लेकिन इन सबके बीच,महापुरुषों के नाम से खिलवाड़ की खबरें भी अब धीरे-धीरे कर सामने आने लगी है l आखिर किन महापुरुष के नाम के साथ खिलवाड़ किया गया और क्यों किया गया और इस खिलवाड़ के बाद,अधिवक्ता समाज ने अपनी आवाज क्यों बुलंद की ? यह कुछ ऐसे सवाल है, दरसल ये लेटर एडवोकेट सुशील कुमार रावत,थाना मुरलीगढ़,नगर पंचायत मोहनलालगंज,जिला लखनऊ की तरफ से लिखा गया है l इस लेटर में साफ तौर पर लिखा है,रेलवे प्रशासन ने 27 अगस्त 2024 को बाकायदा सर्कुलर पास कर,निहालगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम,महाराजा बिजली पासी रखा था l हैरत की बात तो यह है की,महाराजा बिजली पासी के नाम से ही आम जनता को दिए जाने वाले टिकट पर बिजली पासी जैसे महापुरुष का नाम इंगित था l यानी यह टिकट महाराजा बिजली पासी का नाम प्रिंट होकर आना इस बात का पुख्ता सबूत देता है की बाकायदा निहालगढ़ का नाम महाराजा बिजली पासी के नाम से रेलवे ने हीं रखा था,लेकिन अचानक स्टेशन से इस नाम को हटा दिया गया l महापुरुष की पहचान को खत्म करने की कोशिश की गई l इसी से आहत होकर,अब सुशील कुमार रावत जंग छेड़ने के अंदाज में आ चुके हैं l उनके साथ अधिवक्ता समाज के साथ-साथ दलित समाज से जुड़े हुए तमाम युवक,इस समय साथ खड़े हैं l

अपनी आवाज को बुलंद करते हुए,अधिवक्ता सुशील कुमार रावत ने स्टेशन अधीक्षक को ज्ञापन भी सौंपा है l ज्ञापन में साफ तौर पर कहा गया,कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निहालगढ़ स्टेशन का नाम बदलकर महाराजा बिजली पासी लिखित तौर पर कर दिया था और पासी समाज की खुलकर तारीफ की थी l खुशी का माहौल बना हुआ था l कुछ दिन बीत जाने के बाद,महाराजा बिजली पासी स्टेशन पर लिखा हुआ नाम मिटा दिए जाने से पासी समाज के सैकड़ो संगठनों ने अब अपना आक्रोश जाहिर किया है l अखबार की सुर्खियां बताती हैं कि,सुशील कुमार रावत रेलवे प्रशासन के इस कृत्य से काफी नाराज चल रहे हैं l इससे भी ज्यादा हैरत की बात तो यह है कि,जब सुशील कुमार रावत ने रेलवे प्रशासन से इस बात की पुष्टि करनी चाही,तो रेलवे प्रशासन ने साफ तौर पर कहा कि,यह मामला संज्ञान में नहीं है उत्तर रेलवे के पास अब तक नाम तब्दील होने को लेकर कोई लिखित आदेश नहीं है और इससे बड़ी हैरत की बात तो यह है,कि अगर रेलवे प्रशासन के संज्ञान में यह बात नहीं थी,तो अब तक रेलवे टिकट पर महाराजा बिजली पासी का नाम किसकी इजाजत से लिखा जा रहा था ? क्या रेलवे प्रशासन इस घटना का जिम्मेदार नहीं है और अगर जिम्मेदार है,तो जिम्मेदारी लेना क्यों नहीं चाहता ?

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क्या रेलवे प्रशासन,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश से भी बढ़कर आगे का आदेश पास करने की ताकत रखता है ? क्या पासी समाज के साथ हो रहे,इस सौतेले बर्ताव से,अब आने वाले समय में दलित वोटरों का ध्रुवीकरण किसी और पार्टी में नहीं हो सकता l इन्हीं सब सवालों के साथ,अपने फेसबुक के पेज पर सुशील कुमार रावत लगातार सक्रिय दिख रहे हैं l अपनी आवाज उठाते दिख रहे हैं और रेलवे प्रशासन की कलई खुलने के बाद,निहालगढ़ की रेलवे अधिकारी अपना मुंह छुपाते फिर रहे हैं l ऐसे में विधानसभा उपचुनाव सिर पर है और अगर यह मुद्दा तूल पकड़ता है तो निश्चित तौर पर,बहुजन समाज पार्टी को आगे आना चाहिए या फिर दलितों का मसीहा बनने वाले नगीना से नवनियुक्त सांसद चंद्रशेखर आजाद जिन महापुरुषों की दुहाई भरते हैं क्या उनके नाम के साथ हो रहे,इस खिलवाड़ को संसद में उठाएंगे और इन सब सवालों का जवाब कौन दलित नेता देगा ? अब सुशील कुमार रावत को इसी बात का इंतजार है l

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