लोकसभा चुनाव 2024 का समाप्त होना और 2027 के आगाज के बीच में बढ़ता इंडिया गठबंधन इस समय आत्मविश्वास से लबरेज है l लेकिन इंडिया गठबंधन ने इस बार,एनडीए के खाते की तमाम सीटों पर अपना वर्चस्व कायम कर लिया l खास तौर पर पूर्वांचल की राजनीति में,एनडीए गठबंधन को इंडिया ने मात दे दी l लेकिन इसके पीछे की तमाम वजह ऐसी हैं,जो आम जनता न जानती है और न जानने की कोशिश करना चाहती है l
ऐसी स्थिति में अब दलितों को साधना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है lभारतीय जनता पार्टी और मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव 2024 के बाद,जिन मंत्रियों का चयन यूपी में मिशन 2027 की झलक देखने के लिए किया गया है l केंद्रीय मंत्रिमंडल में यूपी के कोटे से इस बार कई समुदायों को पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं मिलना,एनडीए के लिए अगले आने वाले विधानसभा चुनाव में खतरे की घंटी भी हो सकती है l
उत्तर प्रदेश के लिहाज से मिशन 2027 पर इसका सीधा असर पड़ता हुआ देखा जा सकता है l देखा जाए,तो इस बार जाट समाज से एक भी मंत्री का ना होना भी सवाल खड़े कर रहा है शायद भाजपा को सीटों का कब मिलना यही एक वजह भी हैl एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक,90 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम वोटर और 80 प्रतिशत से ज्यादा यादव वोटर्स ने इंडिया गठबंधन को अपना वोट दिया,जबकि गैर जाटव दलित वोटो का लगभग 56% भी इंडिया गठबंधन सहित विपक्षी गठबंधन एनडीए को हासिल हुआ l सर्वे के मुताबिक 25% जाटों और दलितों ने भी इंडिया गठबंधन को ही वोट किया l 2019 में यूपी की 17 सुरक्षित सीटों में से,15 भाजपा की झोली में आए थे l