इस लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी और एनडीए ने जितनी तेजी के साथ हुंकार भरी और इंडिया गठबंधन को अपने इर्द-गिर्द भटकने नहीं दिया l लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता गया,इंडिया गठबंधन की हुंकार उतनी तेजी के साथ आगे बढ़ती चली जा रही है l 2019के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी के हाथ में तमाम सीटे आ गई,तो इंडिया गठबंधन को लेकर तमाम बातें भी सामने आई l लेकिन एक दौर ऐसा भी आया कि,जब इंडिया गठबंधन ने तमाम उतार-चढ़ाव को देखते हुए ,आखिरकार अखिलेश और राहुल की जोड़ी ने दोबारा इंडिया गठबंधन में नई जान भर दी l अब ऐसे में इंडिया गठबंधन जहां एक तरफ एनडीए के सामने बहुत बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है,तो दूसरी तरफ चाणक्य की नींद क्यों उड़ी हुई है?यह कुछ ऐसे सवाल है,जो उत्तर की प्रदेश की राजनीति में लगातार देखे जा रहे हैं l जहां एक तरफ जौनपुर में प्रेशर पॉलिटिक्स के चलते माफिया धनंजय सिंह ने भाजपा का सपोर्ट कर डाला,तो वही कई जगहों पर चाणक्य अमित शाह बीजेपी में चल रही,अंदरूनी राजनीति को लेकर परेशान है l डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है l
लेकिन यह डैमेज कंट्रोल आखिरकार कितना सफल हो पाएगा ? लेकिन उससे पहले आखिर बीजेपी की हैरानी और परेशानी की वजह भी जान लीजिए l दरअसल,इस समय रायबरेली के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती इंडिया और एनडीए दोनों ही गठबंधन के लिए बनकर सामने आई है l राय बरेली को साधने के लिए गृह मंत्री अमित शाह विधायक मनोज पांडे के घर गए थे l राय बरेली के साथ-साथ अमेठी में भी अब भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है l बेंती के रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया को मनाने की कोशिश की, लेकिन खास सफलता नहीं मिल पाई l नतीजतन कौशांबी, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, फूलपुर का गणित डगमगा रहा है l बताते हैं,कहीं ठाकुर नाराज है,तो कहीं अंदरखाने में धमाल मचा हुआ है l इलाहाबाद में नंद गोपाल गुप्ता नंदी भी नाराज़ हैं l यही स्थिति अब चंदौली में देखने को मिल रही है l मछली शहर में कड़ा मुकाबला है, तो जौनपुर की लोकसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी के बदलने, धनंजय सिंह द्वारा भाजपा के प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह को समर्थन देने के बाद भी मामला पटरी पर नहीं आया है l
जौनपुर में कृपाशंकर सिंह को धनंजय सिंह की पत्नी के चुनाव न लडऩे का फायदा जरूर मिल रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ साइंलेट वोटर्स की नाराजगी उन्हें तंग कर सकती है l भाजपा के टिकट पर जौनपुर से विधायक का चुनाव लड़ चुके सूत्र का कहना है कि मुंबई वाले नेता कृपाशंकर सिंह जम गए,तो यहां के जमीनी कार्यकर्ता और नेता का क्या होगा? जौनपुर के बगल में आजमगढ़ है l यहां से सपा के धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़ रहे हैं lआजमगढ़, सलेमपुर, गाजीपुर, घोसी में भी एनडीए को कांटे की टक्कर झेलनी पड़ रही है l ओमप्रकाश राजभर के बेटे अनिल राजभर छड़ी चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में है l उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने अनिल राजभर से अगड़ी जाति के लोगों से माफी भी मंगवाई, लेकिन मामला बनता कम दिखाई दे रहा है l राजनीति से जुड़े हुए तमाम जानकारी का मानना है की,इसमें सबसे असरदार कारण ठाकुर मतदाताओं की नाराजगी रही l जो पश्चिम उत्तर प्रदेश से शुरू हुई थी और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी इसके दबाव में आ गया,लेकिन देरी से आया lठाकुर मतदाताओं के मन में अरविंद केजरीवाल की ये बात ठहर गई है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सितंबर 2024 में हटाया जा सकता है l
यह दावा गाजियाबाद से ले कर गोरखपुर तक चुपचाप जगह बनाए है l दूसरा बड़ा असरदार मुद्दा मायावती की अपने भतीजे आकाश आनंद पर कार्रवाई और अपने उम्मीदवारों को बदलना रहा l बताते हैं,कि सबसे ज्यादा प्रत्याशी समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने बदले l कई सीट पर तीन-तीन बार बदले, लेकिन समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल है l इसलिए उस पर इसका असर नहीं पड़ा l बसपा के इस तरह के प्रयास का संदेश भाजपा के पक्ष में खड़ा होने का चला गया l इसके कारण अल्पसंख्यक समेत तमाम मतदाता रणनीतिक निर्णय लेते दिखाई दे रहे हैं l तीसरा बड़ा कारण, उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पूरी तरह जातिगत मुद्दे पर चले जाने, सपा और अखिलेश के उम्मीदवारों के चयन में चतुराई का रहा l बनते बिगड़ते समीकरणों के बीच इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की लहर इतनी ज्यादा नहीं है,जितनी 2019 के चुनाव में थी l लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी,कि जहां बीजेपी के लिए कई चुनौतियां ऐसी हैं,जो उनकी अंदरूनी राजनीति को बयां कर रही है l तो वही इंडिया गठबंधन अपनी अंदरूनी राजनीति से अलग हटकर,कहीं ना कहीं गठबंधन की मजबूती की तरफ लग गया है और यह इशारा एनडीए गठबंधन के लिए किसी भी कीमत पर ठीक नहीं है