लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की तस्वीर जहां पूरी तरह से पूर्वांचल पर निर्भर है,तो वहीं पूर्वांचल का दबदबा एक बार फिर दिल्ली में देखने को मिल रहा है l दिल्ली की पूर्वोत्तर सीट को लेकर, इस समय मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार आमने-सामने दिख रहे हैं l लेकिन दोनों की चुनावी लड़ाई में,आखिरकार जीत किसकी होगी और जनता किन तथ्यों के आधार पर इन दोनों में से अपना नेता चुनेगी ?यह कुछ ऐसे सवाल है,दिल्ली की नार्थ ईस्ट लोकसभा सीट का सियासी परिदृश्य भी रोज इस दौर के नए रंग दिखा रहा है l मिथकों के सहारे सियासत करने वाली पार्टी और उसके उम्मीदवार पीछे रह गए हैं l
वहीं, मिथकों से दूर रहने का दम भरने वाले,वामपंथी रुझान के कन्हैया कुमार ने इसे अपना हथियार बना लिया है l कन्हैया के भाषणों में कृष्ण एक ऐसे रूपक की तरह उपस्थित हैं, जो करुणानिधान भी हैं और कठोर भी l यही वजह है,कि 2014 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर भाजपा के मनोज तिवारी के लिए मिथकों की इस रणनीति का तोड़ तलाशना आसान नहीं दिख रहा l दिल्ली की इस लोकसभा सीट की सामाजिक संरचना खासी विविधतापूर्ण है l इस क्षेत्र में पूर्वांचल के लोगों की बड़ी आबादी के कारण,मनोज तिवारी की राह पिछले दो बार से आसान रही है, लेकिन अबकी बार कहानी कुछ उलझ गई लगती है l
मनोज तिवारी के समर्थक भले दावा करें,कि उन्होंने पिछले पांच साल में बहुत काम कराए हैं,मगर इलाके के लोग इससे संतुष्ट नजर नहीं आते l अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा लंबे समय से लंबित चल रहा है l समाधान को लेकर विभिन्न स्तरों पर पहल तो होती रही है, लेकिन इसका कोई ठोस हल अब भी नहीं हो पाया है l
सीवर और जल निकासी की समस्या कॉर्पोरेट के चुनाव से ही लगातार यहां पर बनी रही है l ऐसे मनोज तिवारी के लिए,जन समस्याओं के रूप में जल निकासी की समस्या सबसे अहम मानी जा रही है l जिसका निराकरण अब तक वह नहीं कर पाया lइसके अलावा, जातियों और बिरादरियों का गणित भी नए समीकरण बना रहा है l 18 फीसदी ब्राह्मण और पांच फीसदी पंजाबी भाजपा की ताकत हैं, तो 21 फीसदी पिछड़ा वर्ग और करीब इतने ही फीसदी मुस्लिम वोटों पर कन्हैया कुमार की नजर है l अनुसूचित जाति के 17 फीसदी वोटों,को अपने पाले में खींचने के लिए दोनों ही दल एड़ी से छोटी तक का बल एक किए हुए हैं और इस वर्ग के वोटों में बंटवारे के भी पूरे आसार हैं l कन्हैया को एक फायदा कांग्रेस के आम आदमी पार्टी के साथ हुए समझौते का भी मिलता दिख रहा है l दिल्ली में निम्न आय वर्ग में आप पार्टी की पकड़,कहीं ज्यादा मजबूत मानी है और इस पूरे लोकसभा क्षेत्र में इसी वर्ग के लोगों की बहुलता है l सीलमपुर हो, मुस्तफाबाद हो, तीमारपुर हो या फिर सीमापुरी, ज्यादातर इलाकों में छोटे-मोटे काम धंधे के सहारे जिंदगी गुजारने वाले लोगों का ही वर्चस्व है l लेकिन,भाजपा का कोर वोटर मनोज तिवारी के साथ डटा है l यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है l लेकिन जनता का एक हिस्सा फिलहाल कन्हैया कुमार से अस्वस्थ नहीं दिखता आश्वस्त नहीं दिखता l
कन्हैया कुमार की टीम की ओर से कितना ही माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा हो l मगर मनोज तिवारी के समर्थक आश्वस्त हैं,कि पिछले दस साल में उन्होंने जितना काम किया है उसके दम पर जनता का भरपूर समर्थन मिलना तय है l इस सीट की चुनावी जंग गलियों- मोहल्लों और सड़कों के साथ आभासी दुनिया में भी जमकर लड़ी जा रही है l दोनों प्रत्याशी सोशल मीडिया के दुलारे हैं,उनकी टीम के लोग इस माध्यम की अहमियत को भी जानते हैं l पिछले दिनों इंस्टाग्राम पर डाले गए मनोज तिवारी के एक वीडियो को 12 लाख से ज्यादा व्यूज मिले, तो कन्हैया के अकाउंट से “दम है,कितना दमन में तेरे”, शीर्षक से जारी रील को 24 घंटे में करीब 15 लाख लोगों ने देखा और सवा लाख ने लाइक भी किया l कोई भी नई रील या पोस्ट सामने आते ही,दोनों के समर्थकों में उसे आगे बढ़ाने की जैसे होड़ सी लग जाती है l
राष्ट्रवाद की पिच पर खेलने में सिद्धहस्त भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर कन्हैया कुमार को उनके जेएनयू वाली वीडियो क्लिप के आधार पर घेरने में जुटी है l पार्टी नेता विभिन्न मंचों पर वीडियो का हवाला देते हुए,उनको देशद्रोही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कन्हैया कुमार ने भी इस मुद्दे पर हमलावर रुख अपना रखा है lउनका सीधा तर्क होता है कि मैंने अगर कुछ गलत किया है तो मैं बाहर क्यों हूं ? सरकार ने अब तक जेल में क्यों नहीं डाला ? फिलहाल कांटे की इस टक्कर में नॉर्थ ईस्ट सीट दिल्ली के लिए गले की फांस बनी हुई है,क्योंकि इस सीट पर जहां मनोज तिवारी का कब्जा है,तो वहीं कन्हैया कुमार की जोरदार एंट्री ने,भाजपा समर्थकों को भी हिला कर रखा है l लेकिन जहां एक तरफ जनता दो खेमो में बटी हुई है l पहले तो मनोज तिवारी के कामों से लेकर जनता कुछ हद तक नाराज दिख रही है,तो वहीं राष्ट्रद्रोह का मुद्दा भाजपा उठाकर कन्हैया कुमार की छवि को धूमिल करने में लगी है l फिलहाल इस टक्कर में जीत किसकी होती है ?यह भी जल्द यानी 4 जून को साबित हो जाएगा