India Junction News

हार कर भी जीत गई मेनका गाँधी!

India Junction News Bureau

Author

Published: July 29, 2024 7:19 pm

इस लोकसभा चुनाव में पीलीभीत और सुलतानपुर सीट को लेकर तमाम चर्चाओं ने जोर पकड़ा l वरुण गांधी का पत्ता कटा l मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट मिला,लेकिन मेनका गांधी के इतिहास पर इस बार की हुई हार ने एक ऐसा प्रश्न चिन्ह लगा दिया था ? जिसका धश अब तक मेनका गांधी पर हावी है lलेकिन चुनाव जीत जाने के बाद,यहां पर भले ही इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी राम भुवाल निषाद ने,अपना झंडा गाड़ दिया हो,लेकिन, मेनका गांधी की टीस अब तक इंडिया गठबंधन के खिलाफ बनी हुई है l शायद मेनका गांधी ने एक बार फिर इंडिया गठबंधन को हिला कर रख दिया है l आखिर मेनका गांधी ने ऐसा कौन सा ट्रंप कार्ड खेला जिससे उड़ गई है,इंडिया गठबंधन की नींद l

दरअसल,उत्तर प्रदेश में चल रही सियासी हलचल के बीच,एक बड़ी खबर सामने आ रही है l भाजपा की पूर्व सांसद मेनका गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है l मेनका गांधी ने सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से,समाजवादी पार्टी के सांसद राम भुआल निषाद के हालिया निर्वाचन को चुनौती दी है l सपा सांसद राम भुआल निषाद से 43,174 मतों से हारने वाली वाली मेनका गांधी गांधी ने शनिवार को न्यायालय रजिस्ट्रार में चुनाव को लेकर एक याचिका दायर की है l याचिका में मेनका गांधी ने आरोप लगाया,कि निषाद ने हालिया लोकसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करते समय,प्रस्तुत हलफनामे में अपने आपराधिक इतिहास से संबंधित जानकारी छिपाई थी l



इसमें दावा यह भी किया गया,कि निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, जबकि उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में केवल आठ मामलों की जानकारी दी थी l उन्होंने दावा किया,कि आपराधिक मामलों का खुलासा न करना,भ्रष्ट आचरण का काम है और "जनप्रतिनिधित्व अधिनियम",1951 की धारा 100 के तहत अपराध है l उन्होंने सपा सांसद की लोकसभा सदस्यता को रद्द करने की,भी मांग की lबता दें,कि याचिका में दावा किया गया,कि निषाद ने गोरखपुर जिले के पिपराइच पुलिस स्टेशन और बड़हलगंज पुलिस स्टेशन में आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई थी l इस लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से राम भुआल निषाद, 4 लाख 44 हजार 330 वोट हासिल करने में सफल रहे थे,जबकि मेनका गांधी को 4,01,156 वोट मिले l याचिका दायर होने के बाद,उच्च न्यायालय ने सुल्तानपुर लोकसभा सीट के लिए चुनाव लड़ने वाले सभी नौ उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर, चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है l

अब ऐसे में अगर मेनका गांधी की इस याचिका पर कोर्ट पूरी तरह से संज्ञान लेती है और वाकई में राम भुवाल निषाद के तथ्य छुपाए जाने की पुष्टि होती है,तो निश्चित तौर पर,”जन प्रतिनिधित्व कानून 1951″ के तहत,राम भुवाल निषाद की सदस्यता भी जा सकती है और “इंडिया गठबंधन” को तगड़ा झटका भी लग सकता है l फिलहाल जनप्रतिनिधि कानून की तमाम धाराओं का विश्लेषण किया जा रहा है और कोर्ट सभी दस्तावेजों को चेक करने के बाद,अपने डिसिशन तक पहुंचेगी l अब इस लड़ाई में जीत मेनका गांधी की होती है या फिर राम भुवाल निषाद अपनी सदस्यता पर कायम रहते हैं यह वक्त की गर्त में है l

Scroll to Top