2007 की तरह मायावती अब रेलिया नहीं कर रही है l मायावती अब अपने समाज के बीच नहीं जा रही है l मायावती अब लोगों से वोटो की गुहार नहीं कर रही है l मायावती ने अब लाखों तक पहुंचने का वह जरिया ढूंढ निकाला है,जो वाकई में इस समय बहुत प्रभाव भी दिखाता दिख रहा है और वह जरिया है,सोशल मीडिया अकाउंट “X” का सहारा l मायावती भले ही पुराने जमाने से ताल्लुक रखती है,लेकिन नए जमाने का हथियार सोशल मीडिया मायावती को इस समय सुर्खियों में लाने में कामयाब हो रहा है,लेकिन मायावती ने बीते 29 साल की कहानी इसी सोशल मीडिया की जुबानी आम जनता तक पहुंचाने के लिए क्यों सोशल मीडिया एक का ही हथियार चुना और क्यों मायावती ने पुराने जिन को बोतल से बाहर निकाला है ?यह कुछ ऐसे सवाल हैं,जो आम जनता से लेकर,काडर वोटर तक सबको हैरान और परेशान कर रहा है और इसी सवाल का जवाब, दरअसल,बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने स्वलिखित बुकलेट में 29 साल पुराने मामले का जिक्र कर यूपी की मौजूदा सियासी स्थिति को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश की है l साल 2019 में जब बसपा और समाजवादी पार्टी के बीच अलायंस हुआ था तब कहा गया था,कि मायावती पुरानी बातों को भुलाकर सियासत की नई राह पर आगे बढ़ गईं हैं l हालांकि सपा संग अलायंस टूटने और अखिलेश यादव पर तीखे सियासी हमले करने के बीच मायावती की नई रणनीति ने सपा को हैरान कर दिया है l
बसपा चीफ ने बुकलेट में लिखा है- “भाजपा व कांग्रेस के हिन्दुत्ववाद के विरुद्ध उत्तर प्रदेश में सन् 1993 में सपा-बसपा की गठबंधन सरकार बनने के बावजूद दलितों व महिलाओं पर हर स्तर का शोषण, उत्पीड़न व जुल्म-ज्यादती आदि जारी रहने के परिणामस्वरूप ही बी.एस.पी. को मुलायम सिंह यादव सरकार से समर्थन वापस लेकर सरकार की कमान अपने हाथ में लेनी पड़ी थी, जिसके खिलाफ तब इन्होंने मेरी हत्या कराने तक का अति-घिनौना प्रयास किया, जो “दिनांक 2 जून सन् 1995 के लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस काण्ड” से जाना जाता है और लोगों के दिल-दिमाग पर वह आज तक छाया हुआ है l जानकारों का मानना है,कि बसपा चीफ ने इस मामले को एक बार फिर उठाकर छिटकते मतदाताओं को एक डोर में बांधने की कोशिश की है l दरअसल, जून 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के संदर्भ में यह दावा किया जा रहा है,कि बसपा का वोटबैंक सपा और कांग्रेस के इंडिया अलायंस की ओर शिफ्ट हो रहा है l
ऐसे में अपने वोटबैंक को फिर से सहेजने के लिए बसपा चीफ गेस्ट हाउस कांड की याद दिला रही हैं,ताकि मतदाताओं में यह संदेश जा सके,कि सपा और कांग्रेस के साथ उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है l दरअसल बुकलेट तो एक बहाना है,लेकिन बुकलेट के सहारे सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने वाली मायावती ने सोशल मीडिया का ही हथियार इसलिए भी चुना है,क्योंकि माया एक तीर से एक नहीं,बल्कि दो-दो निशाने कर रही है l जहां एक तरफ,अपने वोटर को संगठित करने का प्रयास माया ने शुरू कर दिया है,तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से दूरी बनाए रखने का संदेश भी अपने वोटर को दिया है l