इस लोकसभा चुनाव में मायावती ने अकेले ही अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा जब की थी,तो सभी मान रहे थे,कि मायावती या तो राजनीति में थक गई है,या फिर आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बनाने के बाद,पीछे से ही प्लान बनाकर लोकसभा चुनाव 2024 को एक नया रूप देने वाली है l लेकिन मायावती ने एक ऐसे गुप्त फार्मूले का प्रयोग दोबारा इस इलेक्शन में किया है lजिसका प्रयोग वह पहले भी ब्रह्मास्त्र के रूप में कर चुकी है lलेकिन क्या है,मायावती का वह हिडन प्लान और कौन से ऐसे प्रयोग से विपक्षी गठबंधन इंडिया और सत्ता पक्ष भाजपा हिल गई है ? इस बार जिस तरीके से बहुजन समाज पार्टी ने चुन चुन के प्रत्याशी उतारे हैं l
वह प्रत्याशी कुछ जगहों पर INDIA गठबंधन के लिए मुश्किल तो हैं ही,तो वहीं कुछ जगहों पर वह एनडीए के प्रत्याशियों को भी परेशान कर सकते हैं l बहुजन समाज पार्टी में इस बार अपनी एक बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति को तैयार कर,विरोधी दलों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है l बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक अपने प्रत्याशियों में बड़ी संख्या में ब्राह्मण ,मुस्लिम और क्षत्रिय उम्मीदवारों को उतार कर, 2007 जैसी सोशल इंजीनियरिंग पर मजबूत दांव लगाया है l बहुजन समाज पार्टी की यह राजनीति,कुछ सीटों पर INDIA गठबंधन के साथ-साथ कुछ सीटों पर एनडीए के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है l
बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक अपने जारी किए 36 प्रत्याशियों की सूची में 11 सवर्ण प्रत्याशी उतारे हैं, इसमें से चार ब्राह्मणों को बहुजन समाज पार्टी ने टिकट दिया है l बसपा के सूत्रों की माने तो,बहुजन समाज पार्टी की मुखिया को ऐसा लगता है,कि बसपा के कैडर वोट बैंक के साथ-साथ अगर ब्राह्मण और क्षत्रिय उम्मीदवारों के सहारे उनका वोट एकजुट हो जाए,तो कुछ भी हो सकता है l बहुजन समाज पार्टी ने उन्नाव में अशोक पांडेय को उम्मीदवार बनाया है lजहां दलित 24 फ़ीसदी और ब्राह्मण 11 फीसदी माने जाते हैं, ऐसे में अगर बसपा की रणनीति कामयाब हुई तो भाजपा को नुकसान हो सकता है l ऐसे ही अलीगढ़ में बसपा ने हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय को टिकट दिया है l जहां ब्राह्मण 15 फीसदी की और दलित 20 फीसदी के आसपास माने जाते हैं l
ऐसे में अगर दलित – ब्राह्मण समीकरण प्रभावी रहा तो भी भाजपा के लिए दिक्कत खड़ी हो सकती है l वहीं बहुजन समाज पार्टी ने मिर्जापुर से मनीष त्रिपाठी को टिकट दिया है l जहां दलित 22 फ़ीसदी और ब्राह्मण 8 फीसदी हैं l ऐसे ही अकबरपुर में राजेश कुमार द्विवेदी को टिकट दिया है lजहां 24 फीसदी दलित और ब्राह्मण 10 फीसदी माने जाते हैं l इन आंकड़ों से भाजपा के प्रत्याशियों के मेहनत बढ़ गई है l फिलहाल मायावती का सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला नया नहीं है l 2007 में सतीश चंद्र मिश्रा के साथ मिलकर,जिस तरह से मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया था l उससे कहीं ना कहीं मायावती का दखल प्रादेशिक राजनीति में इस कदर हो गया था,कि उनकी जड़ों को हिला पाना मुश्किल था l इस बार फिर मायावती ने इस सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के जरिए,उत्तर प्रदेश की राजनीति को फिर से यू टर्न दे दिया है l