मायावती की एक बुकलेट में अखिलेश का राज
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय मायावती लगातार सक्रियता के साथ अपना काम आगे बढ़ा रही है l लोकसभा चुनाव 2024 में मिली हार के बाद,मायावती जहां एक तरफ केंद्र सरकार को निशाने पर ले रही हैं,तो कभी-कभी योगी सरकार को भी आरक्षण के मामले में खरी खोटी सुना रही है lबीते दो दिन पहले,मायावती की एक बुकलेट में अखिलेश और समाजवादी पार्टी के टूटे गठबंधन की कहानी को बयां करते हुए,अपने दर्द को मायावती ने कार्यकर्ताओं के सामने लाने की कोशिश की थी l अब इसी के जवाब में अखिलेश यादव ने भी मायावती का कुछ ऐसा राज खोल दिया ? जिसको लेकर माया का असली चेहरा अब सामने आ गया है l यही नहीं मायावती के बचाव में कौन सा बड़ा नेता,अब अखिलेश को जवाब देने के लिए उतर गया है ?,लेकिन उससे पहले यह भी जान लीजिए कि,आखिरकार अब यह बवाल क्यों बढ़ रहा है और इस बढ़ते बवाल का इसी 2024 में होने वाले विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव से क्या है,असली कनेक्शन ?दरअसल मायावती की तरफ से दावा किया गया है,कि साल 2019 में सपा-बसपा गठबंधन इसलिए टूटा,क्योंकि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मायावती का फोन नहीं उठाया l
मायावती की तरफ से दावा किया गया है कि अखिलेश यादव ने उनके और बसपा के किसी भी नेता का फोन नहीं उठाया और बात नहीं की, जिसके बाद बसपा ने गठबंधन तोड़ लिया था l माया के इन्हीं आरोपों पर अब अखिलेश ने भी पलटवार कर दिया है l इस मामले पर अब अखिलेश का कहना है कि उनकी तरफ से फोन किया गया था,मगर कभी-कभी लोग अपनी बातें छिपाने के लिए ऐसी बातें करते हैं l अखिलेश की आए जवाब के बाद,एक बार फिर मायावती का बयान सामने आया है l सोशल मीडिया X पर बसपा चीफ मायावती ने लिखा, ‘लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 और SP के 5 सीटों पर जीत के बाद,गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा,कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था l जिसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात l सोशल मीडिया अकाउंट एक पर माया आगे लिखती है,बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है,तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है l
सपा के साथ सन 1993 और 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, किन्तु ’बहुजन समाज’ का हित व आत्म-सम्मान सर्वोपरि l
बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है- अतः चुनावी स्वार्थ के लिए आपाधापी में गठबंधन करने से अलग हटकर ’बहुजन समाज’ में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेन्ट है,ताकि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सके l फिलहाल माया के सपोर्ट में इस बार,इस पूरे विवाद में अखिलेश यादव को घेरने के लिए,मायावती के साथ बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी मैदान में आ गए हैं l अखिलेश यादव पर मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा ने डबल अटैक किया है l
बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने सोशल मीडिया X पर लिखा, ‘बहन जी फोन करने के पूर्व मेरे द्वारा फोन करने पर सपा प्रमुख फोन पर नही आए, फिर पार्टी कार्यालय से फोन गया और तब फिर भी फोन पर सपा प्रमुख से बात नहीं करायी गयी l फिर भी बहन जी ने बड़े होने के नाते सपा प्रमुख को फोन कर के हौसला देने की कोशिश की थी लेकिन वह फोन पर नहीं आए और इस सबका परिणाम यह रहा,कि बीएसपी को गठबंधन तोड़ना पड़ा l अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है,की बुकलेट में मायावती इस तरह के सवाल क्यों उठा रही है और अखिलेश इनके जवाब में क्यों इंटरेस्ट रख रहे हैं l कहीं ऐसा तो नहीं की 2024 में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से इन दोनों ही बातों का कोई कनेक्शन हो ? फिलहाल राजनीतिक जानकारों का मानना है,कि माया ने अपनी खोई हुई जमीन को बचाने और अपने कार्यकर्ताओं में अपनी छवि को साफ करने की पूरी कोशिश की है,तो वही इस मुद्दे के जरिए अखिलेश की छवि को बसपा ने जनता के सामने ला दिया है l