विधानसभा उपचुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कहीं ना कहीं आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव का वह कैनवास होगा l जिससे उत्तर प्रदेश में भाजपा अपनी खोई हुई साख को दोबारा जमाने में कामयाब हो सकेगी और इसी कामयाबी को पाने के लिए एनडीए तमाम तरह की कोशिशें में भी जुट गया है,लेकिन जिन सहयोगियों के सहारे उत्तर प्रदेश में सत्ता की चाबी योगी आदित्यनाथ को हासिल हुई थी l इस विधानसभा के उपचुनाव में उन सहयोगियों का क्या हाल एनडीए करने वाली है और कितनी सीटों पर एनडीए अपने सहयोगियों को सहमति देती है ?
दरअसल,उत्तर प्रदेश में एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भी मंथन किया जा रहा है l इस बीच खबरों की माने तो बीजेपी अपने सहयोगी दलों को केवल दो सीटें ही देने का मन बना रही हैं l इनमें एक सीट जयंत चौधरी की रालोद और दूसरी सीट निषाद पार्टी को दी जा सकती है l बाकी आठ सीटों बीजेपी खुद चुनाव लड़ेगी l यूपी की करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, और कटेहरी पांच सीटों पर सपा का कब्जा था,जबकि गाजियाबाद,फूलपुर और खैर तीन सीटें बीजेपी के पास, मीरापुर सीट से रालोद और मझवां सीट पर निषाद पार्टी का कब्जा था l बीजेपी इस गणित के हिसाब से सीटों का बंटवारा करना चाहती है l हालांकि अभी तक इस पर फाइनल मुहर नहीं लग सकी है l केंद्रीय नेतृत्व की सहमति के बाद आगे फैसला हो सकेगा l 2022 के विधानसभा चुनाव जयंत चौधरी का अखिलेश यादव के साथ गठबंधन था l
इस चुनाव में रालोद ने मीरापुर और खैर दोनों सीटों पर चुनाव लड़ा था,लेकिन मीरापुर सीट पर आरएलडी की जीत हुई जबकि खैर सीट बीजेपी के खाते में चली गई l जयंत की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल इस बार भी मीरापुर और खैर दोनों सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है,लेकिन बीजेपी रालोद को एक ही सीट देने के मूड में हैं l ऐसे में रालोद खैर सीट की मांग कर सकती हैं l निषाद पार्टी की बात करें तो,उसे मझवां सीट दी जा सकती है,क्योंकि इस सीट विधायक विनोद कुमार बिंद भदोही से बीजेपी के सांसद बन गए हैं l ऐसे में ये सीट निषाद पार्टी के कोटे में चली गई l
संजय निषाद भी इस उपचुनाव में दो सीटों की उम्मीद लगा रहे थे l पिछली बार उन्होंने मझवां और कटेहरी दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था,लेकिन, कटेहरी में हार का सामना करना पड़ा l इस बार बीजेपी कटेहरी सीट पर कोई चांस लेने के मूड में नहीं है l इसलिए वो ये सीट अपने पास ही रख सकती है l हालांकि जिन सीटों पर संजय निषाद और जयंत चौधरी दावा ठोक रहे हैं l उसमें जयंत चौधरी की तो दावेदारी एनडीए में प्रबल है लेकिन संजय निषाद की सीट को लेकर एनडीए में अभी भी संशय बना हुआ है और अगर एनडीए संजय निषाद को उनकी मनचाही सीट नहीं देती है,तो उसके बाद सहयोगी दल निषाद पार्टी की तरफ से क्या एक्शन लिया जाएगा ? यह भी अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल है ?