राजनीति वह चीज है,जो कब दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बना दे l कुछ भी कहा नहीं जा सकता l कभी अदावत की कहानी तारीख बन जाती है…..तो कभी दोस्ती के फसाने बड़े करीने के साथ,आगे बढ़ते हैं और एक नई नए दौर की कहानी को बयां करते हैं….और जब बात लोकसभा चुनाव 2024 की हो रही हो,तो ऐसे में उस दौर के किस्सो का आना भी लाजमी है,जिस दौर में दूर-दूर तक दोस्ती के कसीदे गढ़े जाते थे l 90 के दशक से लेकर,बीते कुछ सालों तक राजनीति ने अच्छे-अच्छे दोस्तों को दुश्मन बना दिया,तो कहीं कट्टर दुश्मनों को एक साथ लाकर….. एक थाली में खाने पर मजबूर कर दिया….. अदावत एक दिलचस्प कहानी” और यह कहानी, जुड़ी है पूर्वांचल के उन दो शेरों से…..जिनकी दोस्ती के अफसाने लखनऊ की सड़कों पर कभी चर्चा का विषय बने,तो कभी अदावत की कहानी,पूर्वांचल में बच्चों बच्चों की जुबानी सुनी गई….. यह कहानी किसी और कि नहीं,बल्कि पूर्वांचल के उन दो माफियायो की है…
.जिनका सफर शुरू तो दोस्ती से हुआ,लेकिन दोस्ती कब अदावत में बदली और कब राजनीति ने नया मोड़ ले लिया ?….यह सब कुछ हम आज अपनी इस “स्पेशल सीरीज” में दिखाएंगे भी और बताएंगे दरअसल l एक दौर था,जब लखनऊ विश्वविद्यालय में अभय और धनंजय की दोस्ती की कसमें खाई जाती थीं l छात्र राजनीति को लेकर अभय और धनंजय की दुश्मनी अजय कुमार सिंह से हुई थी l ये दुश्मनी इतनी गहरी होती गई कि लखनऊ यूनिवर्सिटी केंपस से लेकर,राजधानी में हत्याओं का दौर शुरू हो गया था l इस घटनाक्रम कई मांओं ने अपने बेटे खोए,कैरियर की खातिर लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने आए कई छात्र अपराधी बन गए l अंत में अजय कुमार सिंह की हत्या हो गई l अजय सिंह एलयू के हबीबुल्लाह हॉस्टल में रहते थे l अजय कुमार सिंह और अनिल सिंह वीरू बेहद करीबी दोस्त हुआ करते थे l अनिल सपा के नेता हैं l अरुण उपाध्याय को अभय और धनंजय सिंह छात्र यूनियन का चुनाव लड़ा रहे थे,उस समय दोनों लोग बहुत घनिष्ट दोस्त थे,लेकिन बाद में धीरे-धीरे अभय और धनंजय में दूरियां बढ़ीं, मनमुटाव हुआ और फिर संबंध खत्म हो गए थे l इसके बाद दोनों के बीच दुश्मनी का दौर शुरू हो गया था l
दोनों के पास ऐसे छात्रों की जमात थी,जो उनके लिए जान दे सकती थी और जरूरत पड़ने पर किसी की जान ले भी सकती थी l अचानक दोनों के बीच ‘दम और दाम के साम्राज्य’ पर कब्जा करने की होड़ शुरू हो गई थी l यहीं से दोनों ने खुद को एक-दूसरे से ज्यादा ताकतवर दिखाने की कोशिश शुरू कर दी थी l लखनऊ से दोनों के बीच शुरू हुआ मुकाबला,उनके अपने-अपने इलाकों तक फैला था l राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते दोनों ने अपने-अपने क्षेत्र में लोकप्रिय होने के सारे हथकंडे भी अपनाए थे l दोनों विधानसभा चुनाव के महासमर में भी कूदे l साल 2002 में अभय सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर फैजाबाद से विधानसभा के लिए दांव लगाया था l धनंजय सिंह ने लोकजनशक्ति पार्टी के टिकट पर जौनपुर के रारी इलाके से चुनाव लड़ा था l इसमें धनंजय सिंह तो विधानसभा के लिए चुन लिए गए थे,लेकिन अभय सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा था l उसके बाद दोनों के बीच कटुता और अदावत और भी ज्यादा बढ़ती गई l
बताया जाता है,कि 4 सितंबर 2002 को वाराणसी के नदेसर इलाके में अभय सिंह गुट ने धनंजय सिंह की कार पर हमला किया था l लेकिन उस हमले में धनंजय सिंह बच गए थे l धनंजय सिंह ने इस हमले को लेकर अभय सिंह पर आरोप भी लगाए थे l रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी l इस हमले के बाद दोनों के बीच अदावत परवान चढ़ गई थी l दोनों पूर्वांचल से लेकर लखनऊ तक एक-दूसरे को ताकत दिखाते रहे l इस दौरान कभी एक का पलड़ा भारी रहता,तो कभी दूसरे का l विधायक बनने के बाद,धनंजय सिंह की हैसियत बड़ी हो गई थी l राजा भैया का संरक्षण मिलने से उनका कद और बड़ा हो गया था l दूसरी तरफ, मुख्तार अंसारी के करीब आकर अभय सिंह ने भी अपनी ताकत में इजाफा कर लिया था l बीजेपी विधायक कृष्णा नंद राय की हत्या के बाद,मुख्तार अंसारी और अभय सिंह के बीच फोन पर बात हुई थी lउसका ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था l