बीजेपी की लेडी सिंघम कही जाने वाली स्मृति ईरानी ने लाख कोशिशों के बाद भी अमेठी से किशोरी लाल शर्मा के टक्कर में नही आ पाई उसका सीधा सा कारण ये है की स्मृति ने अमेठी की जनता के साथ दुर्व्यवहार कर अपनी खुद की छवि धूमिल कर ली साथ ही साथ जिस पार्टी ने उन्हें हाथो में रखा उसी पार्टी की नीव को वो नही संभाल पाई। 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को जितने वोट से हराया, 2024 में उससे 3 गुना मार्जिन से स्मृति ईरानी खुद हार गईं।
पप्पू ने अपना चप्पू चला दिया और कांग्रेस की गति को इतना तेज कर लिया की बीजेपी वाले मोदी के सहारे बैठे रह गए और कुछ उखाड़ भी नही पाए कांग्रेस ने इस कदर अपनी जादू की छड़ी चलाई की सब देखते ही रह गए और अमेठी की सांददीय सीट केएल शर्मा के समर्थन में हो गई। जिन पुराने भाजपाइयों ने उन्हें चुनाव जिताया था, स्मृति उन्हीं से किनारा कर बैठीं।
वे कहते हैं- 2014 में जब स्मृति अमेठी में चुनाव लड़ने आईं, तब हमने अपने घर में रहने के लिए जगह दी, लेकिन वे कार्यकर्ताओं से कहती हैं कि कोई हमें पूछने वाला नहीं था। हम सीमेंट के गोदाम में रहे। स्मृति की इस बात से ओपी का मन खट्टा हो गया। अब इन सब चीजों को देखते हुए ये चीज तो समझ में आ गई है की ओपी सिंह के साथ स्मृति की तालमेल नहीं बैठ पाई जिसके कारण अब स्मृति ने अपना रुख बीजेपी से मोड़ना शुरू कर दिया है।