2019 के लोकसभा चुनाव की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही 2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही बयानों के दौर चल रहे है l तस्वीर कुछ बदली बदली सी नजर आ रही है l लेकिन इस बार के चुनाव में,कुछ ऐसा भी हो रहा है जिसको लेकर चुनावी विशेषज्ञ हैरान और परेशान से दिख रहे हैं l उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जहां 2019 के मुकाबले 2024 में वोटिंग का प्रतिशत गिरा है,तो वहीं बुंदेलखंड में भी ऐसा कुछ चिंताजनक हुआ है ? जिसे लेकर सियासी दलों में चिंता की लकीरें बढ़ गई है l आखिर बुंदेलखंड में ऐसा क्या हुआ और क्यों हुआ?दरअसल बुंदेलखंड में वोटों के बंटवारे से सभी दलों की धुकधुकी बढ़ गई है l बीती 20 मई को वोटिंग के दौरान,बुंदेलखंड में उत्साह की कमी की वजह से मतदान कम हुआ l ऐसे में हार-जीत का आंकड़ा बेहद कम होने के आसार हैं l
बुंदेलखंड की चारों सीट पर उम्मीद से कम मतदान हुआ है l अलग- अलग इलाके में कहीं सुबह से ही लाइन लगे रहने और कहीं सन्नाटा होने से उम्मीदवारों की धुकधुकी बढ़ गई है l ऐसे में हार-जीत का आंकड़ा बेहद कम होने के साथ ही,सियासी समीकरण बदलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है l यहां पर पांचवें चरण,यानी 20 मई को चुनाव को संपन्न हो गए l लेकिन यह चुनाव वोटो के मामले में नेताओं समेत चुनाव आयोग को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है l
झांसी लोकसभा क्षेत्र में पिछली बार 67.68 फीसदी मदतान हुआ था, जिसमें भाजपा को 58.61 और सपा-बसपा और कांग्रेस को मिलाकर 38.36 फीसदी वोट मिला था l इस बार यह आंकड़ा 63.70 फीसदी पर ही अटक गया है l
अच्छी बात यह है,कि यहां के तीन बूथ पर शत प्रतिशत मतदान हुआ है l बांदा में 2019 में 60.81 फीसदी मतदान हुए, जिसमें भाजपा 46 फीसदी और सपा-बसपा और कांग्रेस को 47.32 फीसदी वोट मिला था l इस बार 59.64 फीसदी मतदान हुआ है l खास बात यह है,कि बांदा में मुस्लिम बहुल इलाके के बूथ पर सुबह से ही भीड़ देखी गई, लेकिन ब्राह्मण बहुल इलाके में उत्साह की कमी रही l इसे लेकर तरह- तरह की चर्चाएं हैं। हमीरपुर में पिछली बार 62.32 फीसदी की अपेक्षा,इस बार 60.56 फीसदी मतदान हुआ है lयहां राठ में 63.05 फीसदी और महोबा में 60.08 फीसदी मतदान हुआ है lदोनों ही क्षेत्र में लोध मतदाता निर्णायक हैं l जालौन में 58.49 की अपेक्षा इस बार 56.15 फीसदी मतदान हुआ है l माधौगढ़ विधानसभामें सिर्फ 52.80 फीसदी मतदान हुआ है l यह क्षत्रिय बहुल इलाका है l इस चुनाव में वोटो के गिरते हुए प्रतिशत को कैसे मेंटेन किया जाए ? इस मुद्दे पर लखनऊ विश्वविद्यालय सक्रिय दिखाई दे रहा है l वोटिंग प्रतिशत गिरने का विश्लेषण करने के लिए,लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के विद्यार्थियों काएकदल,शिक्षकों के निर्देशन में पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा भी करने की प्लानिंग कर चुका है क्षेत्र का दौरा करके यह डेलिगेशन एक रिपोर्ट भी तैयार करेगा l
यह रिपोर्ट विश्वविद्यालय को सीलबंद लिफाफे में सौंपी जाएगीlकुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में,राजनीति विज्ञान विभाग की विभागीय समिति की बैठक हुई भी हुई है l इसमें एक विस्तृत योजना तैयार की गई l पांच शिक्षकों और चार शोधकर्ताओं की एक टीम, जो अन्य शोधकर्ताओं के समूह नेताओं के रूप में,प्रतिनिधित्व करेगी l 25 से 27 मई तक पूर्वी प्रदेश के जिलों का दौरा इसी प्रस्तावित रणनीति का एक हिस्सा है l टीम वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, गाजीपुर जैसे पूर्वांचल के राजनीतिक गढ़ में पहुंचेगी l लखनऊ विश्वविद्यालय का मकसद है कि,विद्यार्थियों को इससे राजनीतिक परिदृश्य को समझने और जनता के मूड को प्रत्यक्ष रूप से समझने का अवसर मिलेगा l
अपने अध्ययन के दौरान,स्कॉलरस क्वेश्चन आर के माध्यम से जनता का मिजाज परखेंगे l फिलहाल बुंदेलखंड और कई जिलों में का गिरता वोट प्रतिशत,इस बार के चुनाव में न सिर्फ राजनेताओं के लिए चिंता का विषय बन गया है,बल्कि चुनाव आयोग के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है,क्योंकि वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए,हर चुनाव में चुनाव आयोग विज्ञापनों के जरिए,अच्छा खासा पैसा खर्च कर,लोगों को जागरूक करने का प्रयास करता है l लेकिन इस बार के चुनाव में इस तरह के की खबरों का आना कहीं ना कहीं चिंता का विषय है l