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चुनाव में आखिर मुख्तार के परिवार से, इतना लगाव क्यों?

India Junction News Bureau

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Published: April 6, 2024 6:16 pm

माफिया मुख्तार अंसारी की संदिग्ध मौत के बाद पूर्वांचल के अंसारी परिवार से हमदर्दी जताने के लिए सियासी पार्टियों और नेताओं में होड़ सी मची हुई है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कल गाजीपुर जाकर मुख्तार अंसारी के परिवार वालों से मुलाकात करेंगे, तो वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी और पल्लवी पटेल के थर्ड फ्रंट पीडीएम ने गाजीपुर सीट पर मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को लोकसभा चुनाव में समर्थन देने का फैसला किया है.दरअसल आपको बतादे की लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने पल्लवी पटेल की अपना दल कमेरावादी से ये कहकर गठबंधन तोड़ दिया कि उनका साथ सिर्फ विधानसभा चुनाव तक ही था. जिसके बाद अपना दल (क) ने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के साथ गठबंधन कर लिया है.

इसके साथ ही कई सीटों अपने प्रत्याशी भी घोषित दिए. लेकिन, अब पल्लवी पटेल का रुख सपा के प्रति नरम दिख रहा है. समाजवादी पार्टी ने यूपी की गाजीपुर सीट से मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को मुख्तार के परिवार से मिलने भी जाएंगे, इस बीच पल्लवी पटेल और ओवैसी के गठबंधन ने गाजीपुर सीट से सपा प्रत्याशी का समर्थन करने का फैसला किया है.पल्लवी पटेल को थर्ड फ्रंट जल्द ही अफजाल अंसारी का समर्थन करने का औपचारिक एलान करेगा. पल्लवी पटेल यूपी में जिस पीडीएम मोर्चे को लेकर आगे बढ़ रही हैं उसका मतलब है पिछड़े, दलित और एम यानी मुस्लिम. थर्ड फ़्रंट का कहना है कि वो अफजाल अंसारी को सपा प्रत्याशी के तौर पर नहीं बल्कि मुस्लिम होने के नाते समर्थन करेगा.

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इससे पहले मुख़्तार की मौत के बाद एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी मुख्तार के घर भी पहुंचे थे और परिजनों से मुलाकात की थी. दूसरी तरफ मुख्तार अंसारी की मौत पर भी कई सवाल उठ रहे हैं. परिवार ने जेल प्रशासन पर उसे धीमा जहर देने के आरोप लगाए हैं. ओवैसी और पल्लवी पटेल ने भी इन आरोपों को गंभीर बताया और इसकी जांच की मांग की है. दरअसल यूपी राज्यसभा चुनाव के दौरान पल्लवी पटेल ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर खुलकर बयानबाजी की थीं जिसके बाद दोनों दलों के बीच दूरियां बढ़ गईं. पल्लवी पटेल ने सपा प्रत्याशी के समर्थन में वोट तो किया लेकिन तब सपा अध्यक्ष से फोन पर उनकी तीखी बहस भी हो गई थी. बाद में अखिलेश यादव ने पत्रकारों से साफ कहा कि लोकसभा चुनाव में उनका अपना दल (क) से गठबंधन नहीं है.

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