India Junction News

चुनाव में क्या बंद होंगे अब मुफ्त के वादे ?

India Junction News Bureau

Author

Published: November 9, 2024 2:10 pm

कांग्रेश कठ्गरे में फिर गयी है l दरसल … मुफ्त कि रेवड़ियों के कारण अर्थव्यस्था पर पड़ने वाले असर के बारे में लगातार भाजपा कि ओर से कही जा रही थी l वहीँ कुछ दिन पहले ये बात मल्लिकार्जुन खरगे ने कही और राजनीति फिर से गरम हो गयी l लेकिन कर्नाटका में ख़ास तौर से ये बात एक मुद्दा बन गयी है कि सार्वजानिक रूप से खरगे ने ये बात क्यूँ कही l महिलाओं के प्रति अब तक जो भी फ्री सेवा थी l उसे ख़त्म करने कि बात कर्नाटका में ही राखी जा सकती थी लेकिन उसे पुरे देश में फैलाना कोई गलती थी या फिर कोई अलग सोच l खरगे सिर्फ कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं को संदेश देना चाहते थे या फिर राष्ट्रीय स्तर पर। माना जा रहा है कि अनुभवी खरगे ने एक साथ सबको संदेश दिया है और खुद को एक स्तर पर अलग भी खड़ा किया है। परोक्ष रूप से उन्होंने यह संदेश दे दिया है कि पार्टी के अंदर कई बातों से वह खुद सहमत नहीं हैं। पहले छत्तीसगढ़ व राजस्थान और फिर हरियाणा की हार के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के अंदर इस बात की छटपटाहट दिखी है कि पार्टी के ही बड़े नेता संगठन से खुद को बड़ा समझते रहे हैं। वही राष्ट्रीय नेतृत्व उनपर लगाम लगाने में असमर्थ रहा है।

जिस तरह उन्होंने बजट को ध्यान में रखते हुए ही चुनावी घोषणाओं की बात कही, उससे यह भी संदेश जाता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए बड़े और खर्चीले वादों को लेकर भी वह पूरी तरह सहमत नहीं थे। पर रोचक तथ्य यह है कि यह बोलने के लिए उन्होंने बंद दरवाजे के अंदर की मीटिंग नहीं बल्कि ऐसा मंच ढूंढा जहां पूरे प्रदेश की मीडिया मौजूद थी। उन्होंने कहा- ”मैंने सुना है कि फ्री बस सेवा समाप्त किया जा रहा है।” उन्हें मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और वित्त मंत्री डी शिवकुमार ने तत्काल दुरुस्त किया और कहा कि समाप्त नहीं समीक्षा करने की बात कही गई है। सच्चाई क्या है यह तो खुद खरगे ही बता सकते हैं लेकिन इस घटना के पहले की कुछ घटनाएं बताती हैं कि कर्नाटक कांग्रेस और सरकार के अंदर बहुत कुछ उथलपुथल चल रहा है और खरगे इससे नाखुश हैं। खरगे ने 31 अक्टूबर को उक्त वक्तव्य दिया था। उससे पहले 25 अक्टूबर को शिवकुमार के भाई डीके सुरेश ने उपचुनाव मे जा रहे चन्नपट्टना सीट से सीपी योगेश्वर की उम्मीदवारी पर असंतोष जताया था।

यह भी पढ़ें :   लोकायुक्त ने शिकायत का लिया संज्ञान ?

दरअसल लोकसभा चुनाव मे सुरेश की हार के लिए योगेश्वर की भूमिका पर उंगली उठाई जाती है। दरसल … प्रदेह में मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवकुमार कि महाव्कांशी किसी से छुपी नही है l वहीँ दूसरी तरफ एक महीने पहले तक राजग के लिए कमजोर माने जा रहे महारास्ट्र में लड़ाई अब बराबर पर आ गयी है l और कुछ मायनों में विपक्षी घटक अगाढ़ी के अन्दर ही प्रतिस्पर्धा इतनी तेज है कि आत्मघाती भी हो सकती है l वहीँ हरियाणा कि हार के बाद सहयोगी दलों ने कांग्रेश पर इस कदर दबाव बना दिया है l कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में कांग्रेश को एक सीट से भी चुनाव लड़ने के लिए नही मिली l वही बतौर अध्यक्ष खरगे सार्वजनिक मंच से ही प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं को संदेश भी देना चाहते थे और खुद के लिए स्पेस भी बनाना चाहते थे। वह उन्होंने कर दिया। यह देखना रोचक होगा कि बजट को ध्यान में रखते हुए चुनावी घोषणाओं की उनकी सलाह पर कांग्रेस कितना अमल करती है।

विज्ञापन

विज्ञापन

Scroll to Top