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इंडिया गठबंधन के ही हथियार से,माया मारेंगी गठबंधन की धार !

India Junction News Bureau

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Published: October 24, 2024 3:38 pm

मायावती ने सन 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के जरिए,अपना लोहा सभी दलों को मनवा दिया था,लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले और लोकसभा चुनाव के बाद मायावती की पार्टी का वजूद खतरे में आ गया l उनका सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला धारा का धरा रह गया और फिर आ गई मायावती अपने कर वाटर के मान मुनव्वल पर l अब ऐसे में मायावती भले ही विधानसभा उपचुनाव में इतनी तेजी के साथ आगे ना बढ़ पाए,लेकिन 2027 को लेकर माया ने एक ऐसा गेम प्लान तैयार किया है,जो कहीं ना कहीं,”इंडिया गठबंधन” से प्रेरित प्लान है l आखिर इस प्लान में क्या है,खास और इस प्लान के साथ-साथ बीजेपी का क्या तड़का,मायावती अपनी पार्टी में लगाने जा रही है ? दरअसल,हरियाणा में भाजपा शासित सरकार द्वारा लिए गए आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले को बसपा ने यूपी में जनता की अदालत में ले जाने का फैसला किया है l उपचुनाव वाली नौ विधानसभा सीटों पर होने वाली चौपालों और सम्मेलनों में इस मसले पर बात की जाएगी l बसपा प्रमुख पहले ही इस फैसले पर ऐतराज जता चुकी है और इसे दलितों को बांटने वाला फैसला करार दे चुकी है l बसपा प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इस पर आपत्ति जताई थी l इस साल के लोकसभा चुनावों में आरक्षण पर हमले और संविधान की रक्षा करने का मसला काफी जोर पकड़ा था l इंडिया ब्लॉक की तरफ से उठाई गई,इन बातों ने आरक्षित वर्ग को काफी प्रभावित किया था l इसका असर यह हुआ था,कि बसपा का बेस वोट भी यूपी में उससे खिसक गया था l अब बसपा अपना बेस वोट अपने पाले में करने की जुगत में जुटी हुई है l यही वजह है,कि संविधान की रक्षा और आरक्षण को बचाने की बातों को हरियाणा सरकार के फैसले से काउंटर किया जाएगा l

सूत्र बताते हैं कि उपचुनाव वाली सीटों के जिलों की बसपा इकाइयों को इस मसले को जमीनी स्तर पर ले जाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं l उन्हें कहा गया है,कि वे दलित बस्तियों में इस मसले पर चौपाल करें और बताएं,कि इस वर्गीकरण के तहत उन्हें बांटा जा रहा है l हाल ही में हुईं कुछ बैठकों में आरक्षण वर्गीकरण को आरक्षण समाप्त करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम भी बताया जा रहा है l दलित बस्तियों में लोगों को हरियाणा सरकार के इस फैसले पर बसपा प्रमुख का स्टैंड भी साझा किया जा रहा है l उपचुनाव में नौ सीटों पर इस प्रयोग का असर भांपने के बाद बसपा आगे की रणनीति तैयार करेगी l सूत्र बताते हैं कि बसपा इस मसले को अगर प्रभावी पाती है तो साल 2027 के चुनावों में इस मामले को प्रमुख मुद्दा बनाया जाएगा l सूत्र बताते हैं कि बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद भी इस मसले की गंभीरता को भांपते हुए इसे नीचे ले जाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं l बैठकों और सम्मेलनों के इतर इस मसले को सोशल मीडिया पर भी ले जाने और भाजपा पर हमलावर रहने के मौके के तौर पर देखा जा रहा है l अगर हरियाणा की तरह ही उत्तर प्रदेश में भी दलितों के आरक्षण में वर्गीकरण होता है,तो जाटव और पासी के अलावा दूसरी जातियों को ज्यादा अवसर मिल सकते हैं l

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जानकारों के मुताबिक, दलितों में पासी और जाटव ही सबसे ज्यादा प्रभावित हैं l आबादी में ज्यादा होने की वजह से अभी तक आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ भी इन्हीं जातियों को मिलता रहा है, लेकिन आबादी में कम संख्या वाली जातियां जैसे धानुक, खटीक और कोरी आदि को कम ही अवसर मिलते हैं। वर्गीकरण का लाभ आबादी में कम संख्या वाली जातियों के हिस्से जाने का अनुमान लगाया जा रहा है l तो अब तक इस खबर के जरिए आप समझ ही गए होंगे,कि मतलब साफ है कि मायावती 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले बांटे जा रहे वोट बैंक को लेकर अब सक्रिय और संजीदा भी नजर आ रही है l अब देखना यह है,कि इंडिया गठबंधन का गेम प्लान बसपा में आजमा कर,मायावती 2027 की पिच पर किस तरह से फील्डिंग करती है l

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