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डॉन श्री प्रकाश शुक्ला की वह अनसुनी कहानी,जिसने पहुंचाया उसे मौत के मुंह तक !

India Junction News Bureau

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Published: April 15, 2024 7:04 pm

उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जिला, जहां कुख्यात डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने महज,25 साल की उम्र में ही जुर्म की दुनिया में बादशाहत हासिल कर ली थी l तकरीबन 20 से ज्यादा मर्डर करने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला के जीवन को फिल्मी पर्दे पर भी उतारा जा चुका है l लेकिन कोई भी उसकी कहानी को पूरा नहीं कर पाया l हर बार श्रीप्रकाश शुक्ला की कहानी कई खुलासों से अछूती रह गई l हैरान करने वाली बात तो यह है,कि जिस गैंगस्टर ने 90 के दशक में,पुलिस की नाक में दम कर रखा था l प्रशासन को उसकी “शक्ल-ओ-सूरत”तक के बारे में ही कोई जानकारी नहीं थी l सवाल था,कि उसे तलाशा जाए भी तो कैसे ? कहा जाता है,कि जो तस्वीर मीडिया में सर्कुलेट की गई l उसमें चेहरा तो श्रीप्रकाश शुक्ला का था और बाकी शरीर बॉलिवुड ऐक्टर सुनील शेट्टी का जोड़ा गया था l

यही फोटो थी, जिसने श्री प्रकाश शुक्ला के अंत की तरफ,पहली शुरुआत की ओर, कदम रखा था l लेकिन इससे पहले,जरायम की दुनिया में श्री प्रकाश के एंट्री की वह दास्ता, इंडिया जंक्शन के जरिए,आज हम आपको बताने जा रहे हैं,जो शायद कोई नहीं जानता होगा ?दरअसल l गोरखपुर में वर्ष 1993, उस वक्त श्रीप्रकाश शुक्ला तकरीबन 20 वर्ष का था l एक रोज कॉलेज से लौटते वक्त बाजार में,श्रीप्रकाश की बहन के साथ एक शख्स ने छेड़खानी कर दी l मास्टर पिता,पुलिस के पास जाने की बात कहते हैं,लेकिन शुक्ला खुद न्याय करने निकल पड़ता है l मारपीट के दौरान श्रीप्रकाश के हाथों शोहदे लग जाते हैं , जो वीरेंद्र शाही का खास हुआ करते थे l

श्री प्रकाश शुक्ला ऑन स्पॉट उसकी हत्या कर देता है l घटना के बाद,हत्या को लेकर हंगामा शुरू होता है l इस घटना में नेता हरिशंकर तिवारी दिलचस्पी दिखाते हैं l फिर श्रीप्रकाश शुक्ला को बैंकॉक भेज दिया जाता है और जब वह वापस लौटकर आता है,तो 20 साल का शुक्ला ‘भइयाजी’ बनने के लिए तैयार होता है l जरायम की दुनिया में,श्री प्रकाश शुक्ला की एंट्री लेने की कहानी,जितनी दिलचस्प है,उतनी खौफनाक भी ,


70 के दशक में जेपी आंदोलन के बाद गोरखपुर यूनिवर्सिटी में दो छात्रगुट तैयार हुए थे l उन दो छात्र गुटों में से,ब्राह्मण वर्ग का नेतृत्व हरिशंकर तिवारी कर रहे थे और ठाकुर वर्ग के नेता वीरेंद्र शाही बन गए थे l शाही और तिवारी एक दूसरे के धुर-विरोधी माने-जाते थे l बिहार के मोकामा से कभी निर्दलीय विधायक चुने जाने वाले,सूरजभान सिंह की श्रीप्रकाश शुक्ला से गहरी दोस्ती थी l या यूं कहें कि,शुक्ला सूरजभान को अपना गुरु मानता था l

पूर्वांचल के कई टेंडरों में वीरेंद्र शाही और हरिशंकर तिवारी का दखल होता था l जिसकी वजह से बिहार के सूरजभान को दिक्कत होती थी l हां, हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र शाही के बीच प्रतिद्वंद्विता भी मानी जाती थी l इसी दौरान गोरखपुर स्थित मामखोर गांव के रहने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला ने,गोरखपुर में पहली बार वीरेंद्र शाही पर अटैक कर दिया l उस दौरान हमले में वीरेंद्र शाही बाल-बाल बच गया l घटना के वक्त,श्री प्रकाश के साथ अनुज सिंह, सुधीर त्रिपाठी और खुद सूरजनभान भी मौजूद था l श्रीप्रकाश शुक्ला ने दूसरी बार भी वीरेंद्र शाही पर हमला किया,लेकिन इस बार भी उसकी किस्मत बुलंद निकली l

तीसरी बार वीरेंद्र शाही लखनऊ स्थित,इंदिरा नगर में अपनी तथाकथित प्रेमिका के लिए,किराए का मकान देखने अकेले ही निकला था,क्योंकि वह नहीं चाहता था,कि ड्राइवर या गनर को उसकी प्रेमिका के बारे में पता चले l तभी पहले से नजर रख रहे,श्रीप्रकाश ने 1997 की शुरुआत में ही,वीरेंद्र शाही को मौत के घाट उतार दिया l वीरेंद्र शाही की मौत के बाद,हरिशंकर तिवारी खुद ही एक-एक कर रेलवे के टेंडर छोड़ने लगे थे l दरअसल, जहां पर टेंडर में सूरजभान को दिक्कत आती,उसे श्रीप्रकाश शुक्ला खत्म कर देता था l बस यही से,श्री प्रकाश शुक्ला के ‘क्राइम हिस्ट्री” के वह अनसुलझे किस्से शुरू हुए l जिसने पूरे पुलिस महकमें से लेकर पूर्वांचल की राजनीति को ही हिला कर ही रख दिया l

तो यह थी श्री प्रकाश शुक्ला की वह कहानीया,जो आज भी लोगों से अछूती है l लेकिन आज इंडिया जंक्शन पर,हम आपको यह भी बताएंगे,कि आखिर कौन सी फोटो लीक होने के बाद,श्री प्रकाश शुक्ला,जैसा माफिया भी खौफ में आ गया था l यहां पर लेते एक छोटा सा ब्रेक,ब्रेक के बाद फौरन हाजिर होते हैं,इंडिया जंक्शन की इस खास सीरीज l “क्राइम स्ट्रीट ऑफ पूर्वांचल में”, तब तक के लिए बने रहिए इंडिया जंक्शन के साथ l

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इधर पूर्वांचल की धरती पर श्री प्रकाश शुक्ला एक के बाद एक बड़े क्राइम को अंजाम दे रहा था lजिसकी दस्तक गोरखपुर से लेकर,लखनऊ तक, लगातार देखी जा रही थी l उधर पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल था ? कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिखता कैसा है ? जिसका पता लगाने के लिए,लखनऊ में उसके बहनोई के घर पर पुलिस ने दबिश दी l इसी दौरान श्रीप्रकाश की तस्वीर उसकी भांजी की बर्थडे पार्टी में मिल गई l इसमें सिर्फ उसका चेहरा ही नजर आ रहा था l

यह बात 1997-98 की है l उस दौरान बॉलिवुड ऐक्टर-ऐक्ट्रेस के पोस्टकार्ड प्रचलन में थे l श्री प्रकाश के चेहरे की तस्वीर लेकर,सुनील शेट्टी के चेहरे के सामने रखने की कोशिश की गई l जो बिल्कुल,श्री प्रकाश शुक्ला के चेहरे पर फिट बैठ गई l एक फैक्स की दुकान पर,फोटो एडिट कराई गई और फिर श्री प्रकाश शुक्ला की तैयार हुई वह तस्वीर l जिसके बिनाह पर श्री प्रकाश शुक्ला की “सर्चिंग” तेज कर दी गई l दरअसल इससे पहले पुलिस विभाग के पास,श्री प्रकाश शुक्ला की एक भी तस्वीर नहीं थी l जिस वजह से पुलिस महकमा श्री प्रकाश शुक्ला को ढूंढने में कामयाब नहीं हो पा रहा था l इसके पीछे की भी,एक दिलचस्प कहानी है l

दरअसल उसने कह रखा था,कि जिसने भी उसकी तस्वीर पुलिस के पास पहुंचाई l वह 24 घंटे के अंदर,मौत के घाट उतार दिया जाएगा l हालांकि, अचानक पुलिस को उसकी लंबी खोजबीन का नतीजा मिला और शुक्ला की तस्वीर तैयार हो गई l इसके बाद प्रतापगढ़ से तत्कालीन बीएसपी नेता ने,श्रीप्रकाश को फोन कर बताया कि,उसकी तस्वीर अखबार में निकली है l यह सुनकर श्री प्रकाश हैरान रह गया l उसने एक लड़के को भेजा, जिसने श्री प्रकाश तक तस्वीर पहुंचाई l यह देख वह और भी परेशान हो गया l इस चक्कर में उसने गोरखपुर के ही एक सोने-चांदी के तस्कर पर गोली चलवा दी l हालांकि, तस्कर वहां से नेपाल भाग निकला l

पुलिस के पास तस्वीर के रूप में एक CLUE आ चुका था l लेकिन उधर एक के बाद एक,घटना को अंजाम देने वाले श्री प्रकाश शुक्ला का शातिर अंदाज एक जगह और धोखा दे गया l जिसने श्री प्रकाश शुक्ला को मौत की तरफ खींचना शुरू कर दिया था l और वह धोखा था,श्री प्रकाश शुक्ला का एक सिम का ही बार-बार USE करना l लंबे वक्त तक श्रीप्रकाश एक ही सिम का इस्तेमाल करता रहा l उधर, एसटीएफ ने फोन से जानकारी निकालकर,एक “मास्टर प्लान”भी तैयार कर लिया था l यही नहीं, एसटीएफ को गाजियाबाद में रहने वाली,शुक्ला की प्रेमिका के घर का पता भी चल गया था l

सिरदर्द बन चुके,शुक्ला को निपटाने के लिए बड़ी उम्मीदों के साथ एसटीएफ ने जाल बिछाया और चप्पे-चप्पे पर हथियारबंद टीम तैनात कर दी l शुक्ला अनुज सिंह, सुधीर त्रिपाठी और भरत नेपाली के साथ एक सिएलो कार से गाजियाबाद पहुंचा l इसके बाद चारों ओर से घिर चुके श्रीप्रकाश और उसके साथियों को एसटीएफ ने मौत के घाट उतार दिया l इसी के साथ ही एक लंबे खूनी खेल के आतंक का अंत हो गया और एसटीएफ का गठन होने के बाद,वह भारत की सबसे तेज पुलिस मानी जाने लगी l

तो अब तक आपने सिर्फ श्री प्रकाश शुक्ला से जुड़े तमाम किस्से और कहानीया,तो जरूर सुने होंगे l लेकिन उसकी तस्वीर कैसे पुलिस के हाथ लगी ? और एक सिम जो उसको मौत के मुंह तक ले गया ? ..

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