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आखिर हमेशा इन सीटों पर क्यों हारी सपा?यह है असली वजह !

India Junction News Bureau

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Published: April 27, 2024 3:16 pm

उत्तर प्रदेश लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश है lकहीं ना कहीं यहां की आबादी और यहां की जनता का रुझान किसी भी नेता को शीर्ष स्तर तक,यानी केंद्र तक पहुंचाने की ताकत रखता है l लेकिन उत्तर प्रदेश में ही तमाम सीटे ऐसी हैं,जिनका तिलिस्म आज तक कोई नहीं समझ पाया l इस बार इंडिया गठबंधन भले ही बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा हो,अखिलेश यादव हुंकार भरते दिख रहे हो,लेकिन समाजवादी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश की अनगिनत सीटे आज तक हासिल ना कर पाने की सबसे बड़ी वजह रही है l यहां पर समाजवादी पार्टी की प्लानिंग l आखिर समाजवादी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश की कौन सी सीट हमेशा से ही चुनौती भरी रही है,या यूं कहा जाए की हमेशा समाजवादी पार्टी ने इन सीटों पर हार का मुंह देखा है lसबसे पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट की l

लखनऊ लोकसभा सीट को लेकर सपा ने तरह-तरह के प्रयोग किए, लेकिन उसकी साइकिल यहां की दौड़ में कभी आगे नहीं निकल पाई l वर्ष 1996 में सपा ने यहां से फिल्म स्टार राज बब्बर को उतारा तो 1998 में फिल्म उमराव जान के निर्माता व निर्देशक मुजफ्फर अली को साइकिल का हैंडल थमाया, लेकिन ये दोनों ही भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के आगे टिक न सके l 2004 के चुनाव में सपा ने लखनऊ की जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधु गुप्ता को टिकट दिया तो वह भी कोई कमाल नहीं दिखा सकीं l 2019 के चुनाव में सपा ने फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा, लेकिन वह भी साइकिल को रफ्तार नहीं दे सकीं l

इस बार सपा ने लखनऊ मध्य के विधायक रविदास मेहरोत्रा को टिकट दिया है,उनका मुकाबला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से है lपश्चिम यूपी की मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, पूर्वांचल की वाराणसी, भदोही, कुशीनगर में भी साइकिल हमेशा पंक्चर हुई है l अवध की अंबेडकरनगर, रुहेलखंड की बरेली, ब्रज की मथुरा हो या फिर फतेहपुर सीकरी सीट l इन सभी में सपा आज तक जीत नहीं दर्ज कर पाई है l हालांकि, 2008 के परिसीमन से पहले खलीलाबाद (अब संतकबीरनगर) व बलरामपुर (अब श्रावस्ती) में सपा जीत चुकी है l इस बार गठबंधन में गाजियाबाद, मथुरा, कानपुर व वाराणसी कांग्रेस के पास हैं l भदोही सीट तृणमूल कांग्रेस के पास है इसके अलावा
मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फतेहपुर सीकरी, बरेली, पीलीभीत, धौरहरा, लखनऊ, सुलतानपुर, कानपुर, अकबरपुर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, बस्ती, संत कबीरनगर, कुशीनगर, वाराणसी व भदोही। इनमें कई सीटें परिसीमन के बाद की हैं l

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गाजियाबाद में तो सपा को पिछले चुनाव में प्रदेश की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था l यहां पर भाजपा के जनरल विजय कुमार सिंह ने सपा के सुरेश बंसल को 5,01,500 वोटों के बड़े अंतर से हराया था l वर्ष 2014 के चुनाव में सपा यहां चौथे स्थान पर थी l इस बार कांग्रेस की प्रत्याशी डाली शर्मा भाजपा के अतुल गर्ग का मुकाबला करेंगी l फिलहाल अखिलेश यादव इस बार इंडिया गठबंधन को लीड कर रहे हैं और तमाम विपक्षी दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं l जिन सीटों पर जिन सीटों पर अब तक अखिलेश यादव या समाजवादी पार्टी ने हार का मुंह देखा है l उनमें एक नई प्लानिंग के साथ अखिलेश ने दोबारा अपनी पार्टी को रिफॉर्म करने की कोशिश भी की है l अब ऐसे में देखने वाली बात यह होगी,कि अखिलेश द्वारा किए गए इस रिफॉर्म से समाजवादी पार्टी की नैया किस हद तक पर लग पाती है l

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