अखिलेश के PDA पर बीजेपी का वार, बीजेपी को मिला मजबूत हथियार…
लोकसभा चुनाव मे उत्तर प्रदेश मे मिली बीजेपी को शिकश्त के बाद यूपी मे बीजेपी पर कई सवाल खड़े हो गए थे. की आखिर बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण क्या है आखिर केंद्र और प्रदेश मे डबल इंजन का फार्मूला यूपी मे क्यों फ़ैल हो गया.. कानून व्यवस्था ओर जीरो टोलरेंश निति के नाम पर योगी का कोई भी एक्सपेरिमेंट क्यों एक्शन के साथ रिएक्शन दे गया था.. ये कुछ ऐसे सवाल है ,जिनका जवाब ढूढ़ने के लिए बीजेपी की कोर कमिटी की तमाम बैठके हुई… बवाल भी हुआ… मान मुन्नवल का दौर भी चला.. नौबत यहाँ तक आ गई थी, की ओबीसी के पुरौधा बनने वाले बीजेपी की आँखों के दो तारे ओमप्रकाश राजभर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य योगी को आँख दिखाने लग गए थे लेकिन गोरखपुर जाकर आर एस एस की नर्सरी से गुरु मन्त्र सरीखे संजीवनी बूटी को लाकर, योगी ने जो रिफोर्म दिखाया उसका परफोर्म अब लोगो के सामने आने वाला है
आर. एस. एस. की नर्सरी से मिला योगी को मन्त्र
दरसल बंद कमरे मे आर एस एस ने उत्तर प्रदेश मे लोकसभा चुनाव मे मिली शिकस्त के पहलुओ पर सिलसिले वार ढंग से योगी को जो नसीहत दी.उसका एक नायाब उदाहरण सीतापुर से चार बार सांसद रहे और वर्तमान के लोकसभा चुनाव मे हार का सामना करने वाले राजेश वर्मा को ओबीसी का एक बड़ा नेता बनाकर योगी की संस्तुति पर केंद्र सरकार के कहने पर उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष बना दिया गया है.. राजनीती मे अनुभव और परिपक्वता को आधार मान कर राजेश वर्मा की ताजपोशी कर योगी आदित्यनाथ ने एक तीर से दो नहीं, बल्कि तीन तीन निशाने कर डाले है. पहला तो ये की उत्तर प्रदेश मे पिछड़ा वर्ग का सानिध्य पा चुके डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य और ओमप्रकाश राजभर की आवाज को दफ़न कर दिया है , तो वही ओबीसी वोट बेंक को सेट करने के लिए 2027 मे होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर अदावती लोगों को ख़ामोशी की नई घुट्टी पिला दी है..
बीजेपी को मिला यूपी मे राम बाण
ओर तीसरा निशाना राजेश वर्मा जैसे दिगाज नेता को इतनी बड़ी उपाधि देकर केंद्र की सत्ता को अपने पक्ष मे ला दिया है.. विवादों से परे सीनियर लीडर राजेश वर्मा का ये पदार्पण निश्चित तौर पर 2029 के लोकसभा चुनाव तक राम बाण की तरह काम करता राहेगा..तो ये तो थी बात योगी की उस पोलिशी की जिसके जरिये योगी ने अन्दर खाने चल रही राजनीती का तगड़ा जवाब देकर अपनों के मुह बंद कर दिए.अब जरा राजनीती के दुसरे पहलु पर नज़र दाल लीजिये, जो जुडा है समाजवादी पार्टी के पीडीऍ फार्मूले से.. जिसमे से अखिलेश के A यानी अल्पसंख्यको को सेट करने के लिए बीजेपी ने आठ महीने पहले पसमांदा और अंसारी यानी जुलाहे समाज को सेट करते हुए भदोही को एक ख़ास पॅकेज दिया था पुरे प्रादेशिक स्तर पर बड़े बड़े सम्मलेन कराए थे दानिश अंसारी को अल्पसंख्यक मनिस्टर और भदोही का प्रभारी बनाकर मुस्लिम वर्ग को अपने साथ आकर्षित कर लिया था
अखिलेश के पीडीऍ पर बीजेपी का वार
और उससे पहले रामनाथ कोविद और द्रौपदी मुर्मू को जैसे नेताओं को देश के सर्वप्रथम नागरिक यानी रास्त्रपति की उपाधि देकर मायावती जैसी दलित नेताओं की बोलती बंद कर दी थी जिसका खामियाजा मायावती की बसपा को शून्य सीटे मिलने से भुगत चुकी हैं.अब बात अगर पिछड़ा वर्ग की की जाए तो कुर्मी समाज से ताल्लुक रखने वाले राजेश वर्मा को इस नए तमगे से बीजेपी ने ADP A यानी अल्पंख्यक D यानी दलित P यानी पिछड़ा समाज के तीनो वर्गों को 2029 की चुनावी विशात पर मोहरों के तौर पर न सिर्फ सेट कर दिया है बल्कि अखिलेश यादव की पीडीऍ पोलिशी को चार सौ चालीस वोल्ट के जोर का झटका धीमे से दिया है.