मौजूदा लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है l बीजेपी की सीटें काफी कम हुई हैं l हालांकि रुझानों में एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है l टीडीपी एनडीए के साथ रहेगी या नहीं l यह अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल बन चुका है क्योंकि जैसे ही रिजल्ट इंडिया गठबंधन के अनुरूप आने शुरू हुए वैसे ही अखिलेश यादव कल से दिल्ली में डेरा डाल चुके हैं आशंका जताई जा रही है कि अखिलेश यादव को पालनहार के रूप में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को सेट करने की जिम्मेदारी दी गई है यानी अखिलेश किंग मेकर की भूमिका में भी आ सकते हैं लेकिन चंद्रबाबू नायडू से लेकर अखिलेश यादव के बीच में तमाम कौन सी ऐसी रणनीतियां है जिसको लेकर पशु पेश बना हुआ है आज की इस रिपोर्ट में हम इन्हीं परिस्थितियों पर रोशनी डालेंगे दरअसल टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के एनडीए छोड़ने और इंडिया गठबंधन में शामिल होने के सवाल पर पार्टी की तरफ से अधिकृत बयान आ गया है l टीडीपी नेता ने कहा,कि हम एनडीए के साथ ही रहेंगे l उन्होंने कहा कि,हमारा चुनाव पूर्व गठबंधन है l लोकसभा चुनाव में एनडीए में सहयोगी दल टीडीपी ने शानदार प्रदर्शन किया है l टीडीपी लोकसभा की 16 सीटों के साथ बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब हुई है l
एनडीए में टीडीपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है l इसी बीच रुझानों में एनडीए को बहुमत हासिल हो गया है l हालांकि, बीजेपी को अकेले अपने दम पर बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है l इंडिया गठबंधन भी बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे हैं l बहुमत से दूर इंडिया गठबंधन चंद्रबाबू नायडू पर डोरे डाल रही है l कहा जा रहा था,कि शरद पवार ने नायडू से संपर्क भी किया था l इसी बीच, टीडीपी नेता रविंद्र कुमार का बयान सामने आया, टीडीपी नेता ने कहा,कि यह तेलुगू लोगों और हमारी पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है l लोगों ने हमें एकतरफा जीत दी है l उन्होंने आगे कहा,कि चंद्रबाबू नायडू जब से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, तब से वे वहीं बने रहेंगे l हमने एनडीए के लिए प्रतिबद्धता जताई है l हमारा चुनाव पूर्व गठबंधन है और यह जारी रहेगा l हम भाजपा के संपर्क में हैं, कुछ लोग आए और मिले और कुछ ने हमसे फोन पर संपर्क किया l फिलहाल इस बीच नरेंद्र मोदी ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए,पूरा खाखा तैयार कर लिया है,तो उधर आज इंडिया गठबंधन की रणनीतियां भी तैयार हो रही है l अब ऐसे में दिलचस्प देखना यह होगा,की आने वाले दो दिनों के भीतर,भारत की राजनीति में क्या आमूलचूल परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं ?
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