उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा सीट पर 5 लोकसभा यानी 25 साल बाद गांधी परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव में नहीं उतर रहा है l कांग्रेस ने इस बार किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतार दिया है l किशोरी लाल शर्मा को गांधी परिवार का सबसे खास माना जाता है l बीजेपी कांग्रेस के इस फैसले को अमेठी से राहुल गांधी की हार होने का डर बता रही है l बहरहाल अमेठी सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है l इस सीट से संजय गांधी, राजीव गांधी से लेकर सोनिया और राहुल गांधी चुनाव लड़कर संसद पहुंचे हैं l सियासी गलियारों में चर्चा है कि राहुल गांधी को अमेठी की जगह रायबरेली से उम्मीदवार घोषित करके कांग्रेस ने खुद ही अमेठी से गांधी परिवार की विदाई कर दी है l कांग्रेस का कहना है कि,किशोरी लाल शर्मा कांग्रेस के 40 साल पुराने सिपाही हैं l
ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी को हराने के लिए वही काफी हैं l अमेठी की जनता गांधी परिवार के सदस्य की तरह थी,है और आगे भी रहेगी l बीजेपी भले ही राहुल गांधी को अमेठी की जगह रायबरेली से उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर,कांग्रेस को आड़े हाथों ले रही हो l लेकिन सियासी गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हो। लेकिन राहुल को रायबरेली से चुनाव लड़ाने के पीछे कांग्रेस की वह रणनीति बताई जा रही है जो आम जनता की पहुंच से बाहर है और इस रणनीति को l दरअसल,जानकारों की माने तो कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी शुरू से चाहती थीं,कि बतौर उत्तराधिकारी राहुल गांधी रायबरेली से ही चुनाव लड़ें l ऐसा इसलिए,क्योंकि सोनिया अपनी विरासत राहुल को ही देना चाहती थी l वह चाहती थीं,कि रायबरेली की विरासत भी राहुल के पास रहे l लेकिन राहुल गांधी वायनाड छोड़ना नहीं चाहते थे l अब जब इस पर प्रियंका की ओर से सहमति मिली, तब राहुल ने रायबरेली से लड़ने का ऐलान किया l
उधर अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा की पहचान भी गांधी परिवार से ही है l वह अभी तक कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली संभालते आए हैं l ऐसे में अमेठी से भले ही केएल शर्मा को टिकट मिला है, लेकिन अमेठी का चुनाव गांधी परिवार ही लड़ेंगा l केएल शर्मा के लड़ने पर भी गांधी परिवार की साख दांव पर है l उनके हारने का मतलब अमेठी से फिर गांधी परिवार का हारना ही होगा l केएल शर्मा भी,जैसे राहुल के नाम पर वोट मांगते थे l उसी तरह अपने चुनाव में भी राहुल गांधी और कांग्रेस के नाम पर ही वोट मांगेंगे l वहीं 4 जून को अगर किशोरी लाल कामयाब हुए,तो संदेश जाएगा कि गांधी परिवार के कारिंदे ने स्मृति ईरानी को हरा दिया l इसी रणनीति के तहत,कांग्रेस ने अपने पुराने दिग्गज को उतार कर,स्मृति ईरानी को जवाब दिया है और अगर यह रणनीति सटीक बैठ गई,तो स्मृति ईरानी कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएंगे और ना ही तो बीजेपी यह बात कह सकेगी कि,राहुल ने डर के मारे अमेठी को छोड़ दिया l अब ऐसे में देखना यह है कि अमेठी पर अपनी आन,मान और शान की बाजी लगा चुकी l कांग्रेस की यह रणनीति किस हद तक कामयाब होती है?