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छठे और सातवें चरण में दिखा जातिवाद का तड़का,आखिर क्यों बदले हैं,अचानक समीकरण? 2019 और 2024 में क्या है भिन्नता।

India Junction News Bureau

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Published: May 28, 2024 12:42 pm

लोकसभा चुनाव का छठा चरण बीत चुका है और सातवां चरण चंद दिनों बाद यानी आज से ठीक-कर दिन बाद इस चुनाव का समापन हो जाएगा और फिर 4 तारीख को रिजल्ट आने का इंतजार सभी गठबंधन को रहेगा लेकिन इस बीच पूर्वांचल की 27 सिम काफी अहम मानी जा रही है और अब उनमें से 13 सिम बची है जिन पर 1 जून को चुनाव होना है इस समयlपूर्वांचल के चुनाव में जातीय अस्मिता आसमान पर है lमंदिर-मजहब, आरक्षण और बेरोजगारी पर चर्चा तो हो रही है पर बिरादरी के समीकरण ही निर्णायक दिख रहे हैं lआंदोलनों की जननी कही जाने वाली पूर्वांचल की धरती पर ही अब चुनाव बचा है l यहां मंदिर, मजहब, आरक्षण, बेरोजगारी और महंगाई सरीखे मुद्दों की चर्चा तो है, पर हर तरफ जाति के समीकरण हावी दिख रहे हैं l

मतदाताओं पर जातीय अस्मिता का सवाल इतना छाया हुआ है कि उसके सामने दूसरे मुद्दे छोटा साबित हो रहे हैं छोटा साबित हो रहे हैं l छठवें चरण की 14 सीटों पर ऐसा ही नजारा दिखा l अब अंतिम चरण के लोकसभा क्षेत्रों में भी मतदाताओं के दिलो-दिमाग पर जाति ही सबसे ऊपर दिखाई दे रही है lपूर्वांचल में कुल 27 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 14 पर 25 मई को मतदान हो चुका है l शेष 13 सीटों पर पहली जून को मतदाता अपना फैसला सुनाएंगे l कुर्मी समाज को भाजपा अपने साथ मानती रही है l

पिछले चुनावों में यह समाज पार्टी के साथ दिखा भी lइस चुनाव में पार्टी ने कई प्रत्याशी बदले, लेकिन इस समीकरण की ओर ध्यान नहीं दिया l देवीपाटन मंडल, बस्ती मंडल और अयोध्या मंडल में एक भी कुर्मी उम्मीदवार नहीं दिया l राज्य सरकार में भी इस समाज की हिस्सेदारी नहीं थी थी तो वहीं इंडिया गठबंधन को लीड करने वाले अखिलेश यादव की सानिध्य में चल रहे,गठबंधन ने बस्ती, गोंडा, श्रावस्ती और अंबेडकरनगर में कुर्मी समाज से प्रत्याशी देकर भाजपा के कोर वोटबैंक में सेंध लगाने का दांव चला l इंडिया और एनडीए प्रत्याशी में से कौन जीतेगा, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन जीत-हार का अंतर ज्यादा नहीं रहेगा l गठबंधन इस समाज के मतों में सेंधमारी में काफी हद तक सफल हुआ है l सुल्तानपुर में आठ बार की सांसद व भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी मैदान में हैं l यूं तो उन्हें सभी वर्गों का समर्थन मिला l पर, निषाद मतों को साधने के लिए उन्होंने खास प्रयास किया l निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद की सभा कराई l वहीं, सपा प्रत्याशी के एमवाई मुस्लिम व यादव फैक्टर में कुछ क्षत्रिय मतदाताओं का साथ मिलने से लड़ाई कांटे की हो गई है l इस चुनाव को जीतने के लिए लगभग लगभग दाव चला है l

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कैसरगंज और डुमरियागंज में गठबंधन ने ब्राह्मण प्रत्याशी का दांव चला l जाति, आरक्षण व संविधान की बात करने के बावजूद कई जगह गठबंधन ब्राह्मण मतों में सेंध लगाता नजर आया है l दोनाें ही सीटों पर भाजपा और सपा प्रत्याशी के बीच ब्राह्मण मतदाता बंटते नजर आए lदिलचस्प बात है,कि डुमरियागंज में आजाद समाज पार्टी से चौधरी अमर सिंह के मैदान में होने से कुर्मी समाज का एक हिस्सा उनके साथ लामबंद नजर आया l संतकबीरनगर में भी जातीय समीकरण हावी रहे l
आजमगढ़ और जौनपुर में तो एमवाई समीकरण ने खूब काम किया l दलितों के कुछ वोट भी सपा को मिले हैं l भाजपा प्रत्याशी को सवर्ण मतदाताओं के साथ ही गैर यादव ओबीसी का समर्थन मिला lभदोही में सवर्ण और बिंद मतदाता भाजपा के पाले में रहे, तो टीएमसी प्रत्याशी ने ब्राह्मण मतों का बड़ा हिस्सा हासिल करने में कामयाबी पाई l प्रतापगढ़ में भी मुद्दों से ज्यादा जातीय समीकरण हावी रहे l
छह चरणों के बीच जाने के बाद अब सेमीफाइनल क्रॉस हो चुका है और एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए ही फाइनल की बारी आ गई है जिसमें जातीय समीकरण पूरी तरह से काम करता भी दिखेगा 1 जून को चुनाव होना है उनमें महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और राॅबर्ट्सगंज शामिल है l इन सीटों पर इन सीटों पर भी मुद्दों के बजाय ब्राह्मण, ठाकुर, कुर्मी, निषाद आदि जातीय पहचान में ही बंटे दिख रहे हैं l जिसका एनडीए या इंडिया गठबंधन को क्या फायदा और क्या नुकसान होता है ? यह भी 4 जून के रिजल्ट के बाद साबित हो जाएगा l

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