2019 के आम चुनाव में राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी l जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल अपना दल (सोनेलाल) दो सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहा था l वहीं कांग्रेस एकमात्र रायबरेली सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी,जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 10,अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी l राष्ट्रीय लोक दल 2019 आम चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी थी l लेकिन इस चुनाव में समीकरण कुछ बदले बदले से नजर आ रहे हैं l दरअसल आम जनता के बीच में लोग यह कयास लगा रहे हैं,कि एनडीए और इंडिया गठबंधन में असली ताकत आखिर है,किसके पास और इस बीच मायावती किस निर्णायक मोड़ पर खड़ी है ? एनडीए और के बीच,मायावती को लेकर इस बार क्या कुछ बसपा में खास देखा जा रहा है ? दरअसल मायावती ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह अकेले अपने दम पर ही चुनाव लड़ेंगी,लेकिन माया का स्टैंड आज तक कोई जान नहीं पाया है l
शायद यही वजह है,कि अब सीधी लड़ाई,एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच में दिखाई पड़ रही है और इस लड़ाई को दिलचस्प बना रहा है l,उत्तर प्रदेश में सियासी मैदान और इसी सियासी मैदान में,राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और इंडिया गठबंधन के बीच बयान बाजी के अलावा, ऐसे कौन-कौन से मुख्य बिंदु हैं,जिनके आधार पर दोनों गठबंधन जनता के बीच अपना दमखम आजमाने के लिए चुनावी मैदान में है l दरअसल,भाजपा ने पिछले कुछ महीनों में विशेष रूप से ‘पिछड़े’ पसमांदा मुसलमानों को लक्षितकरतेहुए,अल्पसंख्यकों तक पहुंच बनाने के प्रयास किए हैं l मोदी सरकार में,तीन तलाक उन्मूलन को भी मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के प्रयास के रूप में,पेश किया गया है l हालांकि अब तक भाजपा द्वारा घोषित 51 उम्मीदवारों की पहली सूची में किसी मुस्लिम उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है l वहीं दूसरी तरफ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए,एक नया नारा ‘पीडीए’ दिया है, जिसका मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक है l
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन तीनों वर्गों के बड़ी संख्या में मतदाता हैं,लेकिन अखिलेश यादव के इस प्लान में सेंधमारी करते हुए,अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए,उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पसमांदा मुस्लिम समाज को अपने साथ पूरी तरह से लाने का प्रयास किया,जो अखिलेश के PDA फार्मूले में से A यानी अल्पसंख्यकों को अपने साथ लाने की भरसक कोशिश मानी जा सकती है l मतलब साफ है,कि जहां एनडीए गठबंधन उत्तर प्रदेश सहित केंद्र स्तर पर चलाई जा रही,तमाम योजनाओं और राम मंदिर निर्माण से जन्मी हिंदूत्ववादी भावना को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेगी,तो वही मुसलमानों के बीच अपनी सियासी जमीन खो चुकी समाजवादी पार्टी के लिए,इस बार का चुनाव मुसलमान के साथ-साथ पिछड़ा और दलितों को भी अपने साथ लाने के लिए,काफी बड़ी चुनौती साबित होगा l यानी की अखिलेश इस समय इंडिया गठबंधन को लीड करते नजर आ रहे हैं,तो वहीं दूसरी तरफ एनडीए विकास परक नीतियों को जनता के बीच लाकर,अपनी झोली में वोटो की गिनती को बढ़ाकर,अप्रत्याशित जीत भी हासिल करना चाहती है lफिलहाल एनडीए और इंडिया गठबंधन की सीधी टक्कर में,जनता का रुझान क्या जाएगा ?यह आने वाला समय यानी जून का महीना,आपके सामने खुद ब खुद लाकर रख देगा l